Friday, October 3, 2008

जो दीखता हे वो बिकता हे

तुम द्रोपदी का चिर हरण दिखाते हो
सीता को वनवास में नही बताते
जो दीखता हे वो बिकता हे ,
गर्म गोस्त की ख़बर हो तुम तुंरत पहुच जाते हो
एड्स का रोगी लॉन्ग शोट में दिखाते हो
जो दीखता हे वो बिकता हे ,
अंध विश्वास तुम चटकारे ले के दिखाते हो
गरीब की भूख तुम्हे दिखाई नही देती
जो दीखता हे वो बिकता हे ,
बड़ी बड़ी कोचिंग क्लास तुम रोज दिखाते हो
नाम मात्र की फी लेने वाले गुरुजन नही दीखते
जो दीखता हे वो बिकता हे ,
लोगो के रसोई घर तुम्हे नही दीखते
बेढरूम पर जासूसी कैमरा लगते हो
जो दीखता हे वो बिकता हे,
फैशन परेड में सब से पास पाए जाते हो
आग से जुलसे घरों में सब से दूर नज़र आते हो
जो दीखता हे वो बिकता हे ,
संसद के बाहर तुम रोज नज़र आते हो
मोहल्ले की गन्दी नालियां तुम्हे दिखाई नही देती
जो दीखता हे वो बिकता हे,
अब तो पेशा भी बदल गया ,
कहने को पॉवर ब्रोकिंग ,
और दलाली में
किसी कोर्परेट की डायरेक्टरी
जो दीखता हे वो बिकता हे

23 comments:

प्रदीप मानोरिया said...

मकरंद जी लज्वाव चिंतन बधाई मेने आपका ब्लॉग मेरी सूची में शामिल कर लिया है आप चाहे तो मेरा ब्लॉग आप भी अपनी सूची में शामिल कर सकते हैं फिलहाल आपका मेरी नईई पोस्ट "१२३ परमाणु करार " पढ़ने सदर आमंत्रित है

भूतनाथ said...

गर्म गोस्त की ख़बर हो तुम तुंरत पहुच जाते हो
एड्स का रोगी लॉन्ग शोट में दिखाते हो
जो दीखता हे वो बिकता हे ,

वाह वाह ! मकरंद सर .. आज तो छा गए ! बधाई !

ताऊ रामपुरिया said...

सुपर-हिट माल है आज तो आपकी दूकान पर !

दीपक "तिवारी साहब" said...

तुम द्रोपदी का चिर हरण दिखाते हो
सीता को वनवास में नही बताते
जो दीखता हे वो बिकता हे ,

बहुत जबदस्त सिक्सर, मुबारकां बादशाओ !

डॉ .अनुराग said...

सचा कहा भाई अब टी आर पी ही सरोकार तय करती है

दीपक said...

आपने भी मेरेदिल की बात कही मार्कण्ड जी !इस ग्लेमर की दुनिया मे सब बिक रहा है क्या कहियेगा!!अफ़सोसजन और निंदनीय

Satish Saxena said...

शानदार अभिव्यक्ति !

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

makrand ji,
bahut sahi kaha hai .aaj kal log usiko bech rahe hain jo dikhaane par log dekhna chaahte hain. samaachaaron men bhi TRP ka hi khyaal rakha jaata hai. bahut sashakt rachna.
badhai

रंजीत/ Ranjit said...

sachhee bat yah hai dost kee channel wale (jyadatar)aur sattanasinon me jyada fark ab nahin raha. sahara bihar ne pahle trasdee ko highlight kiya ab use cash kar rahe hain. hum kuch nahin kar sakte. Janta kab karegee pata nahin.
Ranjit

Shastri JC Philip said...

चारों ओर दिखती सामाजिक बुराईयों को बहुत अच्छे तरीके से अनावृत किया है आप ने!

-- शास्त्री

-- हिन्दीजगत में एक वैचारिक क्राति की जरूरत है. महज 10 साल में हिन्दी चिट्ठे यह कार्य कर सकते हैं. अत: नियमित रूप से लिखते रहें, एवं टिपिया कर साथियों को प्रोत्साहित करते रहें. (सारथी: http://www.Sarathi.info)

seema gupta said...

अब तो पेशा भी बदल गया ,
कहने को पॉवर ब्रोकिंग ,
और दलाली में
किसी कोर्परेट की डायरेक्टरी
जो दीखता हे वो बिकता हे

' my god, mind blowing, very very appropriate words and examples quoted, rightly said what ever seen is saleble. great thoughts presented nicely'

regards

Smart Indian said...

सही कहा मकरंद भाई. सौदागर के लिए तो सारी दुनिया एक बाज़ार ही है और सारे लोग ग्राहक.

कडुवासच said...

एक जानदार अभिव्यक्ति है, "जोर का झटका धीरे से लगे" कहावत को चरितार्थ कर दिया।

Dr. Ashok Kumar Mishra said...

samajik buraeion key khilaff awaz uthai jani hi chhiye.

http://www.ashokvichar.blogspot.com

योगेन्द्र मौदगिल said...

sateek, sarthak evm samyik uyangy ke liye badhai swikaren

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

tere dwar khada ek jogi,na mangu main sona chandi mangu tere darshan

Doobe ji said...

kya baat hai makrand ji BADHAI

Udan Tashtari said...

वाह वाह!! एक बहुत ही बेहतरीन एवं सटीक अभिव्यक्ति. उम्दा चिन्तन दर्शाती रचना. बधाई.

Anonymous said...

जो दीखता हे वो बिकता हे ....,
Makrand Ji sach to yahi hai jo aapne likha hai..., Magar jo dikhta hai vahi sach hai aisa jaruri bhi nahi.

Achchhi rachna ke liye Badhai.

anuradha srivastav said...

पहली बार आपका ब्लाग पढा ...... पसन्द आया । सशक्त लेखन ....... इसी तरह लिखते रहिये।

Dev said...

अंध विश्वास तुम चटकारे ले के दिखाते हो
गरीब की भूख तुम्हे दिखाई नही देती
जो दीखता हे वो बिकता हे ,

Makrand ji, bahut gahan chinatan hai aapka....aur sath me vaisi hi abhivykti...
Bahut achchha likate hai aap...

Mere blog ki ek post "Maa" par aapki najar chahata hoon...


http://dev-poetry.blogspot.com/2008/08/blog-post_3922.html

Indu said...

bahut sahi kaha aaj ki kharid farokht ki duniya ke baare mein!

Priyambara said...

maaf kijiyega Makrand jee par kuchh baaton se main sahamat nahin hoon. Aids rogiyon ka long shot lagana unki majboori hai kyonki unki pahchaan chhipana naitik aur kaanooni dono roop se zaruri hai.agar mauka mile to channel waale use bhi khul kar dikhayein aur kaise hua Aids ispar apne anumaan lagayein ...TRP jo unki badhegi.