कुत्तों की पंचायत में
कुतिया ने गुहार लगाई
अगर सारे ये सब मेरे भाई
तो में किसकी लुगाई
पंचायत में एक दहाड़
शेर बूढ़ा भी हो
जुगाली तो कर ही सकता हे
कुतिया शरमाई
फिर में जंगल ही चली जाती
कम से कम हनीमून तो मनाती
पंचायत से फिर एक दहाडा
हमारा हुक्म और तुम्हारी नाफ़रमानी
इस देस में अब नहीं बहता नदियों में पानी
जहरीले सापों खुद तो रेंग रहे हो
लोकतंत्र पर भी नजर हे
पर याद रहे
कालिया मर्दन भी हमारा शगल हे
विश्व काव्य दिवस की शुभकामनाएँ!
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चंद्रमा, आज रात *हम अच्छे हैं*
*(शब्द व चित्र: *अनुराग शर्मा*)*
अच्छा है
सब अच्छा होगा
क्योंकि हम अच्छे हैं
सब कुछ अच्छा रहा हमारा
क्योंकि हम सब अच्छे हैं
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6 days ago