Thursday, October 2, 2008

बापू

विज्ञापन जगत में होर्डिंग
जगह के हिसाब से बिकता हे
बापू की आढ़ में
इनका चेहरा दिखता

ये लोकतंत्र के रहनुमा हे
इन्हे पहचानो
यह थाने में ,मयखाने में
सर्वत्र व्याप्त हे

बापू के नाम की रोज खाते हे
लूट में इनकी हिसे दारी हे
विज्ञापन इनका पेशा हे
यह अब हर जगह नज़र आयेंगे

तुम सिर्फ़ ये याद रखना
बदलना हो वयवस्था
तो इन्हे साथ मत रखना
बस बापू की तस्वीर काफी हे

सच्चाई अभी बाकी हे ...........
इशिलिये आज भी हम बापू को याद करते हे

7 comments:

ताऊ रामपुरिया said...

ये लोकतंत्र के रहनुमा हे
इन्हे पहचानो
यह थाने में ,मयखाने में
सर्वत्र व्याप्त हे

बेहतरीन लिखा मकरंद सर ! धन्यवाद !

भूतनाथ said...

क्या बात है ? आज गांधी जयन्ती पर बेबाक रचना के लिए धन्यवाद !

दीपक "तिवारी साहब" said...

बापू के नाम की रोज खाते हे
लूट में इनकी हिसे दारी हे
विज्ञापन इनका पेशा हे
यह अब हर जगह नज़र आयेंगे

बहुत गजब की रचना ! बधाई !

ताऊजी said...

बापू के नाम के तुकडे चबाने वालो पर अच्छा व्यंग है !

Arvind Mishra said...

बापू के नाम की रोज खाते हे
लूट में इनकी हिसे दारी हे
वाह सटीक !

seema gupta said...

तुम सिर्फ़ ये याद रखना
बदलना हो वयवस्था
तो इन्हे साथ मत रखना
बस बापू की तस्वीर काफी हे
'what a creative thought'

Regards

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

tikshan baan chalaaye hain.yun hi likhate rahen.
shubhkaamna ke saath