Friday, December 24, 2010

तुम मुस्कुराते हो
हम दफ़न हो जाते हैं
स्कैम के पुतले
अमर हो जाते हैं

सारा मीडिया तुमाहरे पीछे
ठगा हुआ सा कल हमारे आगे

तुम राजा हम रंक
हँसते हँसते झेल रहे
नागिन के डंक
लोकतंत्र में नाग
फन फैलाये
कोई बदनाम हो
किसी को जवानी आये

प्याज के छिलके उतर रहे हैं
सुना हे सबके पते
नगर वधु की डायरी में मिल रहे हैं

हवा में फरमाया गया इश्क
वो भी पकड़ा गया
अब तो डीएनए की जांच जरुरी हे
बुढा पे ये नई मजबूरी हे

पटरी पर समझोते हो रहे हैं
सड़क पर नवजात छोड़े जा रहे हैं
हवाई जहाज हिचकोले खा रहे हैं
वर्त्तमान मुस्कुरा रहा हे
भविष्य दफ़न हो रहा हैं

Friday, November 12, 2010

आदर्श जमाना

बराक ओबामा आये
मुस्कुराये , हात मिलाया
सपत्नी सकुशल चले गए
आदर्श के पुतले
अभी यहाँ जिन्दा हे
कारगिल के शहीद शर्मिंदा हे
सारे ज़माने का थूका
हम चाट गए
लोकतंत्र के शेर
पानी पीने नए घाट गए
भांड अब इन्साफ कर रहे हैं
गनीमत हे सिर्फ शादी दिखाई
सुना हे इसमें भी टी आर पी का चक्कर हे
नगर वधुँ के लिए television नया अवसर हे
नयी दिशा , नया जमाना , नित नए पहनो ,
जो दिखेगा वो ही बिकेगा
ये तो अब ग्लोबल नारा हे
भारत अब खुल गया हे
ओबामा जी फिर से आयेगा
उधार जो वसूलना हे .......................... ,

Sunday, July 4, 2010

मेसेजों से मांग भराई

व्यभिचार के पुतले
अवैध सम्भंधो के फाटक
रिश्ते हो गए मोबाइल
मेसेजों से मांग भराई
हिंदुस्तान बदल रहा हे ............

अकेलेपन का मजा
रिश्तों में तिजारत
बदन चाँदी के वर्क में लिपटा हुआ
और मन काजल की कोठरी में सिसकता हुआ
हिंदुस्तान बदल रहा हे ............

टूटते मोबाइल रिश्तों के बीच
अब लैंड लाइन जरूरी हे
सामाजिक एक्सचेंजोँ
आगे आओ
हिंदुस्तान बदल रहा हे ............

माँ ही जीवन का आधार हे
कलयुगी जांच मत कराइए
अगर अब नहीं संभले
तो दिन दूर नहीं , कुत्ता और आदमी
सड़क पर नज़र आयेंगे
हिंदुस्तान बदल रहा हे ............

प्रगति जरुरी हे
पश्चिमी दिशा मजबूरी हे
पर कुछ तो खुद की संसकृति
का पेटेंट कराईये
हिंदुस्तान बदल रहा हे ............

Tuesday, May 18, 2010

सांप पंचायत

कुत्तों की पंचायत में
कुतिया ने गुहार लगाई
अगर सारे ये सब मेरे भाई
तो में किसकी लुगाई

पंचायत में एक दहाड़
शेर बूढ़ा भी हो
जुगाली तो कर ही सकता हे

कुतिया शरमाई
फिर में जंगल ही चली जाती
कम से कम हनीमून तो मनाती

पंचायत से फिर एक दहाडा
हमारा हुक्म और तुम्हारी नाफ़रमानी
इस देस में अब नहीं बहता नदियों में पानी

जहरीले सापों खुद तो रेंग रहे हो
लोकतंत्र पर भी नजर हे
पर याद रहे
कालिया मर्दन भी हमारा शगल हे

Tuesday, April 13, 2010

एजुकेसन

गाँव में शिक्षा के नाम पर
तमाशा जारी हे
शहरों में एजुकेसन के नाम पर
गोरख धन्दा
भारी हे

दीवारों पर लीखनेसे
कुछ नहीं होगा
कुत्ता टांग उठा के धो देगा
या फिर पढ़े लिखे

लोकतंत्र में
शिक्षा अब अधिकार हे
पर उजाला
फिर चंद लोगों में बटेंगा
इस देश में फिर एक भूखा जोकर बनेगा

Thursday, April 8, 2010

बिल बनाम पर्ची

सामान खरीद कर ,
जब हमने बिल माँगा
दुकानदार ने आँख तरेरी
मुस्कुराके हमको टाँगा

जो पर्ची पर लिखा हे
वही सही हें
पक्का चाहिए तो
अलग से लगेंगे

और वारंटी गारंटी
हमारी जबान हें
बरखुरदार
ये हिंदुस्तान हें

खोटे सिक्के यहाँ
बड़ी गाडियों में चलते हें
तुम्हारे जेसे बस स्टैंड से
उतरकर हम से उलझते हे

आगे की सोचो
कागज तो सिर्फ खाता बही हे
जबान हिलाए गा
तो खाना मिल पायेगा

कागज के भरोसे
तू कोरा कागज ही रह जायेगा

Friday, March 19, 2010

आदमी

हाथी सड़क पर ,
मद मस्त जा रहा था
कुत्ता भोंका,
हाथी को नागवार गुजरा
सूंड में लपेट कर जो
पटकनी दी,
कुत्ते की दुम सीधी हो गयी
कुत्ता माँयुस हो गया ,
बोला तोड़ देते ,
अगर मेरी टांग,
कुछ दिन में ठीक हो जाती
पर आपने ने तो
आदमी बना दिया ................

Monday, March 15, 2010

हार्दिक शुभ कामनायें

नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनायें
मोहब्बत अब दिल से नहीं
दिमाग से की जाती हे
जिम्मेदारी नहीं ली जाती हे

जियो और मरने दो का फार्मूला हे

गधे एक तरफ़ा मोहब्बत करते हे
घोड़े तो अस्तबल में मोंज करते हे
जमाना बदल रहा हे
रिश्तों में भावनायों का सूरज ढल रहा हे
अब नीम के पेड काट दिए जाते हे
क्यों की सामने वाली खिड़की के बीच में आते हे

Wednesday, March 3, 2010

सामाजिक फ्राड़ीये

अजब तमाशा
गजब हे खेल
दोस्ती की रेलमपेल

गिफ्ट कर रहे प्रदान
कागा गा रहे
प्यार की तान

नेटवर्किंग का जमाना हे
फोटो देखे के फ़साना हे
भोले भले फंसे रहे हे
ये सामाजिक फ्राड़ीये हंस रहे हैं

भावानायोँ की तिजारत जारी हैं
जिस्म की भूख सबसे भारी हे

Tuesday, March 2, 2010

स्मार्ट

गर्ल फ्रेंड बन संवर कर काफी पीने
क्लब में आये
साथ में कुछ फूल भी लाये
पर बीबी घूंघट में नज़र आये

हम तो करें मोबाइल पर घूटर घू
पर बीबी को फ़ोन लैंड लाइन पर भी नहीं आये

हम रात में भी पार्टी मनाएं
पर बीबी घर से बाहर न जाये

हम संवारे देश का भविष्य
कल का इतिहास
पर घर का भूगोल
पुराना ही नज़र आये

ऐशे सामाजिक फ्राड
लगा रहे आवाज़
हम आधुनिक हो रहे हें

Friday, February 12, 2010

बनियान

आदमी बनियान में
वो भी फटी
कुत्ता नेवी ब्लू स्वेटर में
कोहरे में लोकतंत्र
रसोई में सन्नाटा
पत्रिकाएँ नीला लिबास पहने
सरवे जारी हे
मनोरजन के नाम पर राजनीति जारी हे
वेलेंटाइन के कागा
बाँट रहे प्रेम का धागा
मोह्हबत में तिजारत जारी हे
शिक्षा का स्तर बढ गया हे
एड्स की सबको जानकारी हे