गाँव में शिक्षा के नाम पर
तमाशा जारी हे
शहरों में एजुकेसन के नाम पर
गोरख धन्दा
भारी हे
दीवारों पर लीखनेसे
कुछ नहीं होगा
कुत्ता टांग उठा के धो देगा
या फिर पढ़े लिखे
लोकतंत्र में
शिक्षा अब अधिकार हे
पर उजाला
फिर चंद लोगों में बटेंगा
इस देश में फिर एक भूखा जोकर बनेगा
चिमनी और चंदा
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चिमनी से निकला धुआँ, चंदा सा आकार,
आँख से मानो बह चलीं, यादें बारंबार।
जैसे तूने छोड़ी थीं, ये राहें उस दिन मौन,
वैसे ही चुप चाँदनी, कहे-सुने अब कौन।
नीला...
6 hours ago