हमारी सुरक्षा मजबूत हे
तभी तो जहाज साबुत हे
बिना रडार काम चलता हे
लोकतंत्र में भ्रष्टाचार सब तरफ मुमकिन हे
सब समुद्री नमक के शोकिन हे
आप में हो हिम्मत तो सड़क पर चल कर दिखाइए
पर समुन्दर में बे रोक टोक चले आइये
नाव में जो मज्जा
वो विदेशी बोट में कहाँ ?
खरीदी हे मगर
वो जोश हैं कहाँ ?
आइये नमन करें
वंदन करें
हमारी आजादी सुरक्षित हे
उलटबाँसी सूरज की
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*(शब्द व चित्र: अनुराग शर्मा)*
सुबह के सूरज की तो
शान ही अलग है
ऊँचे लम्बे पेड़ों पर
शाम की बुढ़ाती धूप भी
देर तक रहती है मेहरबान
उपेक्षित करके छोटे पौधों...
2 weeks ago







5 comments:
बस यही बात तसल्ली देती है हमारी आज़ादी अभी सुरक्षित है बहुत अच्छा लिखा है एक बार फिर .
अक्षय-मन
भ्रष्टाचार, आतंक व गुंडागर्दी के बावजूद भी फिलहाल हमारी आजादी सुरक्षित है। समय रहते ध्यान न दिया, तो खतरे में अवश्य है।
:) jane kab tak ....
नाव में जो मजा
वो विदेशी बोट में कहाँ ?
...सच जो बात अपने होने में वह और में कहाँ ...
बहुत सुन्दर रचना ...
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