नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनायें
मोहब्बत अब दिल से नहीं
दिमाग से की जाती हे
जिम्मेदारी नहीं ली जाती हे
जियो और मरने दो का फार्मूला हे
गधे एक तरफ़ा मोहब्बत करते हे
घोड़े तो अस्तबल में मोंज करते हे
जमाना बदल रहा हे
रिश्तों में भावनायों का सूरज ढल रहा हे
अब नीम के पेड काट दिए जाते हे
क्यों की सामने वाली खिड़की के बीच में आते हे
खालीपन
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नये पहाड़ चढ़ते हैं
सपाट पगडंडियों से
जो थक चुके हैं
नये व्यंजन पकाते है वे
जो पुरानों से पक चुके हैं
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जो खुश हैं यथास्थिति से
उन्हें कुछ कमी नहीं
वे कभी...
5 weeks ago
2 comments:
बहुत बढ़िया वाकई में....और नव वर्ष की शुभकामनाएँ.........."
प्रणव सक्सैना
amitraghat.blogspot.com
गुडी पडवा की बहुत बधाई.
रामराम.
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