अजब तमाशा
गजब हे खेल
दोस्ती की रेलमपेल
गिफ्ट कर रहे प्रदान
कागा गा रहे
प्यार की तान
नेटवर्किंग का जमाना हे
फोटो देखे के फ़साना हे
भोले भले फंसे रहे हे
ये सामाजिक फ्राड़ीये हंस रहे हैं
भावानायोँ की तिजारत जारी हैं
जिस्म की भूख सबसे भारी हे
खालीपन
-
नये पहाड़ चढ़ते हैं
सपाट पगडंडियों से
जो थक चुके हैं
नये व्यंजन पकाते है वे
जो पुरानों से पक चुके हैं
***
जो खुश हैं यथास्थिति से
उन्हें कुछ कमी नहीं
वे कभी...
1 month ago
3 comments:
नेटवर्किंग का जमाना हे
फोटो देखे के फ़साना हे
भोले भले फंसे रहे हे
ये सामाजिक फ्राड़ीये हंस रहे हैं
वाह सरजी, लाजवाब जी.
रामराम.
कागा गा रहे
प्यार की तान
:)
मकरंद जी ये आपकी ही तस्वीर है और उम्र भी यही ......??
कविता उम्र के हिसाब से बहुत बड़ी है ......!!
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