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Sunday, July 4, 2010

मेसेजों से मांग भराई

व्यभिचार के पुतले
अवैध सम्भंधो के फाटक
रिश्ते हो गए मोबाइल
मेसेजों से मांग भराई
हिंदुस्तान बदल रहा हे ............

अकेलेपन का मजा
रिश्तों में तिजारत
बदन चाँदी के वर्क में लिपटा हुआ
और मन काजल की कोठरी में सिसकता हुआ
हिंदुस्तान बदल रहा हे ............

टूटते मोबाइल रिश्तों के बीच
अब लैंड लाइन जरूरी हे
सामाजिक एक्सचेंजोँ
आगे आओ
हिंदुस्तान बदल रहा हे ............

माँ ही जीवन का आधार हे
कलयुगी जांच मत कराइए
अगर अब नहीं संभले
तो दिन दूर नहीं , कुत्ता और आदमी
सड़क पर नज़र आयेंगे
हिंदुस्तान बदल रहा हे ............

प्रगति जरुरी हे
पश्चिमी दिशा मजबूरी हे
पर कुछ तो खुद की संसकृति
का पेटेंट कराईये
हिंदुस्तान बदल रहा हे ............