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Thursday, April 8, 2010

बिल बनाम पर्ची

सामान खरीद कर ,
जब हमने बिल माँगा
दुकानदार ने आँख तरेरी
मुस्कुराके हमको टाँगा

जो पर्ची पर लिखा हे
वही सही हें
पक्का चाहिए तो
अलग से लगेंगे

और वारंटी गारंटी
हमारी जबान हें
बरखुरदार
ये हिंदुस्तान हें

खोटे सिक्के यहाँ
बड़ी गाडियों में चलते हें
तुम्हारे जेसे बस स्टैंड से
उतरकर हम से उलझते हे

आगे की सोचो
कागज तो सिर्फ खाता बही हे
जबान हिलाए गा
तो खाना मिल पायेगा

कागज के भरोसे
तू कोरा कागज ही रह जायेगा