तुम द्रोपदी का चिर हरण दिखाते हो
सीता को वनवास में नही बताते
जो दीखता हे वो बिकता हे ,
गर्म गोस्त की ख़बर हो तुम तुंरत पहुच जाते हो
एड्स का रोगी लॉन्ग शोट में दिखाते हो
जो दीखता हे वो बिकता हे ,
अंध विश्वास तुम चटकारे ले के दिखाते हो
गरीब की भूख तुम्हे दिखाई नही देती
जो दीखता हे वो बिकता हे ,
बड़ी बड़ी कोचिंग क्लास तुम रोज दिखाते हो
नाम मात्र की फी लेने वाले गुरुजन नही दीखते
जो दीखता हे वो बिकता हे ,
लोगो के रसोई घर तुम्हे नही दीखते
बेढरूम पर जासूसी कैमरा लगते हो
जो दीखता हे वो बिकता हे,
फैशन परेड में सब से पास पाए जाते हो
आग से जुलसे घरों में सब से दूर नज़र आते हो
जो दीखता हे वो बिकता हे ,
संसद के बाहर तुम रोज नज़र आते हो
मोहल्ले की गन्दी नालियां तुम्हे दिखाई नही देती
जो दीखता हे वो बिकता हे,
अब तो पेशा भी बदल गया ,
कहने को पॉवर ब्रोकिंग ,
और दलाली में
किसी कोर्परेट की डायरेक्टरी
जो दीखता हे वो बिकता हे
चिमनी और चंदा
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चिमनी से निकला धुआँ, चंदा सा आकार,
आँख से मानो बह चलीं, यादें बारंबार।
जैसे तूने छोड़ी थीं, ये राहें उस दिन मौन,
वैसे ही चुप चाँदनी, कहे-सुने अब कौन।
नीला...
6 hours ago