मोर्निंग वाक् पर हाथ में
काला बांस
सर पर उगी थोडीसी
सफ़ेद घास,
लम्बी गाड़ी के
इर्द गिर्द
चक्कर
लगा रहे थे ,
कान में काला यन्त्र
शिदत से चिपका था
और कुछ
बढ़ बढ़ा रहे थे ,
पास में एक मरियल
कांप रहा था
साथ में अच्छी नस्ल का वेल एजूकेटेद
हांफ रहा था
रोचक दृश्य देख कर
हम ने पुछा
माजरा क्या है
बोले ,
यह यन्त्र मोबाइल नही
रिसीवर है
मेरी बीबी सो रही है
उसकी खराटे सुन रहा हु ,
हमने पुछा क्या मतलब ?
बोले जवानी में मिली नही
फिर खूब मेहेनत कर कमाया
फिर इस कमसिन को
खरीद कर लाया ,
जेसे ही खर्राटे बंद होंगे
हम तुंरत घर होंगे
में चाय बनाऊंगा
ये दोनो मेरी बीबी के गुलाम हे
एक सस्ते में
एक महंगे में आया हे
ये कांपने वाला झाडू पोंछा
बर्तन करेगा
हांफने वाला उसकी गोद में
आराम करेगा .
दोस्तों ये रचना का सार हे,
कन्या भूर्ण की हत्या मत कीजिये
एक के तीन से बेहतर हे
तीनो में एका रहे
पति पत्नी और बच्चा
लेखक को जानिये - अनुराग शर्मा के कुछ और साक्षात्कार
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9 जुलाई 2019 को प्रकाशित साक्षात्कार-वार्ताओं की शृंखला में कुछ और विडियो
यहाँ प्रस्तुत हैं।
*विडियो Video*
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*अनुराग शर्मा क...
1 month ago
19 comments:
कन्या भूर्ण की हत्या मत कीजिये
एक के तीन से बेहतर हे
तीनो में एका रहे
पति पत्नी और बच्चा
बहुत सुंदर
पास में एक मरियल
कांप रहा था
साथ में अच्छी नस्ल का वेल एजूकेटेद
हांफ रहा था
bahut achchhe .
यह यन्त्र मोबाइल नही
रिसीवर है
मेरी बीबी सो रही है
उसकी खराटे सुन रहा हु ,
kyaa baat hai ?
कन्या भूर्ण की हत्या मत कीजिये
एक के तीन से बेहतर हे
bahut sundar .
हास्य के साथ सुंदर सार्थक संदेश बधाई हो श्रीमान
मेरी नई पोस्ट कांग्रेसी दोहे पढने हेतु आप मेरे ब्लॉग पर सादर आमंत्रित हैं
आप भी कम गजब नहीं ढाते हैं. आप हमें regard कम सहयोग ज्यादा करिए. पुनः आपको बधाई, सुंदर कविता के लिए क्योंकि कन्या भ्रूण ह्त्या निवारण हेतु विगत 10-12 वर्षों से संघर्षरत हूँ. इस पर एक कविता है आगे पढने को मिलेगी.
Gahra vyangya. samajik sandarbhon se judi ek chetavani ke sang..
'In the begning it seems to be a poetry with great sense of humour but in end when read the moral of poem it is really appreciable. The style of writing and words selection are fantastic. Enjoyd reading it ya' Regards
अन्तिम टुकडा कुछ समझ में आया नही ,और न ही उसका कोई सन्दर्भ या सम्बन्ध पूर्व की पंक्तियों से ही जुड़ता लग रहा है ,.| कन्या भ्रूणहोता है |
कन्या भूर्ण की हत्या मत कीजिये
एक के तीन से बेहतर हे
तीनो में एका रहे
पति पत्नी और बच्चा
वाह! आप तो बहुत बढ़िया लिखते हैं. आपकी कविता मैं हास्य भी सुंदर रूप मैं आया है. बहुत-बहुत बधाई. सस्नेह .
बहुत खूब कहा मकरंद आपने. बहुत ही करारी रचना, कई मायने हैं इसके, जितनी बार भी पढ़ा नया ही मिला. लिखते रहे. बधाई स्वीकारें
कहने का अंदाज जुदा भी है ओर सटीक भी.....
कन्या भूर्ण की हत्या मत कीजिये
एक के तीन से बेहतर हे
bahut sundar
bade dhang se bataya aapne
Wah.......
bahut achha sandes ek sundar kavita k madyam se,bahut badhiya.hamare hindi blog par aapki tippani ke liye shukriya
survey complete sir,
your blog is a sensible one.
regards
Neelam
सटीक लिखा मकरंद जी,इधर आने मे देर हुई,उसे अन्यथा ना लें। अपना रिसीवर sorry मोबाइल नंबर हो सके तो मुझे देने का कष्ट करें। आपको और आपके परिवार को दशहरे की बहुत-बहुत बधाई।
तीर स्नेह-विश्वास का चलायें,
नफरत-हिंसा को मार गिराएँ।
हर्ष-उमंग के फूटें पटाखे,
विजयादशमी कुछ इस तरह मनाएँ।
बुराई पर अच्छाई की विजय के पावन-पर्व पर हम सब मिल कर अपने भीतर के रावण को मार गिरायें और विजयादशमी को सार्थक बनाएं।
आपके मेरे ब्लॉग पर पधार कर उत्साह वर्धन के लिए धन्यबाद. पुन: नई रचना ब्लॉग पर हाज़िर आपके मार्ग दर्शन के लिए कृपया पधारे और मार्गदर्शन दें
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