Sunday, October 12, 2008

इश्क का पेस मेकर

इश्क का पेस मेकर हम्रारे दिल को लगा
सालों पुराना कंघा सर पर चला
बचे खुचे लाइन में लगाये
खुशबु बिखेरते हम बस स्टैंड पर नज़र आए

वो कार से आई
बोली गेट इन hurry up dear
हम पलक झपकते कार
में समां गए

उसने जुल्फों को दिया झटका
और एक सवाल पटका
लिव इन के बारे में
क्या ख्याल हे तुम्हारा

हमने कहा लिव इन ,
आम बात हे हमारे लिए
हर बार वादा करते हे
पॉँच साल इंतजार करते

वादों के सेलाब में
पिछले छह दशकों से
कई फ्रेम पर लटक गए
ये हमारे इश्क का जूनून हे

तुम्हारे प्यार में हमारा वादा रहा
इंतजार इश्क का गहना हे
हम तो लाइव रहेंगे
और तुम लिव इन

15 comments:

एस. बी. सिंह said...

हमने कहा लिव इन ,
आम बात हे हमारे लिए
हर बार वादा करते हे
पॉँच साल इंतजार करते

bahut sundar

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत बढिया।

वादों के सेलाब में
पिछले छह दशकों से
कई फ्रेम पर लटक गए
ये हमारे इश्क का जूनून हे

महेन्द्र मिश्र said...

bahut badhiya bhai likhate rahiye. shubhakamanaye .

श्यामल सुमन said...

वादों के सैलाब में
पिछले छह दशकों से
कई फ्रेम पर लटक गए
ये हमारे इश्क का जूनून है

आप चतुराई से बात कह गए। अच्छा निशाना। शुभकामना।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com

राज भाटिय़ा said...

लिव इन .....
यह है क्या??? लिव आऊट भी तो होगा फ़िर क्या होगा??
एक सुन्दर कविता के लिये धन्यवाद

कडुवासच said...

"...हम तो लाइव रहेंगे
और तुम लिव इन "
अतिसुन्दर !!!

विनय राजपूत said...

bahut hi aache ..mai to deevana ho gayaa aapli rachanavo ka

samay nikal kar hamari rachanao par padhare

ताऊ रामपुरिया said...

उसने जुल्फों को दिया झटका
और एक सवाल पटका
लिव इन के बारे में
क्या ख्याल हे तुम्हारा

बहुत अच्छे मकरंद सर !

रश्मि प्रभा... said...

bahut badhiyaa makrand ji,shaandar rachna hai.......
apni lekhni ko khud hi kam na kahe,
ye to saraswati ka apmaan hoga
saraswati maa shabdon ke dhan ke saath hain ,yah bahut badee baat hai

सचिन मिश्रा said...

Bahut khub.

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर said...

ये कलयुग का रावन हे
सतयुग के राम से कैसे मरेगा
कलयुग में रावन
मेघनाथ के हाथों मरेगा
---------------
तुम्हारे प्यार में हमारा वादा रहा
इंतजार इश्क का गहना हे
हम तो लाइव रहेंगे
और तुम लिव इन
आपकी दोनों कविताओं को पढ़ा, ऐसा नहीं है कि रावण वाली कविता नहीं पढी थी पर ज़रा दोसरे झमेलों में फंस गया था............ब्लॉग पर आया था कुछ और करने लग गया कुछ और करने इसी से काम की जगहों पर जाना तो हुआ अपनी उपस्थिति न दिखा सके, माफ़ करिएगा.
दोनों कवितायें बड़े तीखे व्यंग्य करती दिखाती हैं,
मेरी भी कविता है इस रिलेशन को लेकर पढने को मिलेगी. बधाई लिखते रहिये.

seema gupta said...

तुम्हारे प्यार में हमारा वादा रहा
इंतजार इश्क का गहना हे
हम तो लाइव रहेंगे
और तुम लिव इन
' ha ha ha ha ha mind blowing creations, excellent presentation'
Regards

अजित वडनेरकर said...

बहुत खूब मकरंद जी...
इधर कभी आना नहीं हुआ था...बिखरे पड़े़ हैं यहां भी रंग...पहुंचाने का शु्क्रिया...
होता रहेगा आना...
जैजै ..

Vinay said...

इश्क़ का पेसमेकर कुछ नयी बात कानों में गयी तो, मज़ेदार और सार्थक...

Indu said...

accha rang bikhraayaa hai! likhte rahiye!