Thursday, October 9, 2008

मिली जुली सरकार

विभीषण भेद बता भी दे
तो भी रावन नही मरेगा
मिली जुली सरकार का
राम क्या युद्ध करेगा

भरत अब पादुका नही
सुपारी दे के बेठा हे
रावण से नही मरा
तो लछमन के हाथो तरेगा

ये कलयुग का रावन हे
सतयुग के राम से कैसे मरेगा
कलयुग में रावन
मेघनाथ के हाथों मरेगा

12 comments:

ताऊ रामपुरिया said...

ये कलयुग का रावन हे
सतयुग के राम से कैसे मरेगा
कलयुग में रावन
मेघनाथ के हाथों मरेगा

बहुत अच्छे मकरंद सर ! दशहरे की शुभकामनाएं !

राज भाटिय़ा said...

भाई जहां मन्थरा रानी हो,हनुमान राजा हो,मेघनाथ विदेश मत्री हो,वहा तो राबण नही राम ही मरेगा ओर वो रोज मरेगा,बहुत सुन्दर इस मिली जुली राम लीला मे सब राक्षश ही भरे है.
धन्यवाद

कुन्नू सिंह said...

बहुत बढीया लीखे हैं।
आज भाई ही भाई को मार रहा है।

seema gupta said...

भरत अब पादुका नही
सुपारी दे के बेठा हे
रावण से नही मरा
तो लछमन के हाथो तरेगा
"what a good composition on kalyug's ramayan, its really fantastic and creative'

regards
'

jyoti saraf said...

acha hai. kalyug ki to yahi kahani hai

Manuj Mehta said...

wah makarand
wah bahut khoob janab
bahut badhiya likha ha
sach mein ravan shayad ab nahi marega.
yeh kalyug ka ravan hai
satyug ke ram se kaise marega

wah

डा. अमर कुमार said...

.


इस बेबाकी के क्या कहने ?
ख़्वामख़्याली से आगे देखने को मज़बूर करती पोस्ट !

प्रदीप मानोरिया said...

मजेदार सुंदर कविता बहुत बढिया तुलना के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आपके मेरे ब्लॉग पर पधारने का धन्यबाद कृपया पुन: पधारे मेरी नई रचना मुंबई उनके बाप की पढने हेतु सादर आमंत्रण

शोभा said...

बहुत सुन्दर रामायण लिखी है। बधाई।

Advocate Rashmi saurana said...

bahut satik rachana ki hai aapne. bhut sundar. likhate rhe.

योगेन्द्र मौदगिल said...

वाहवा..
जमाये रखो..
अच्छी रचना..
सटीक व सामयिक..

BrijmohanShrivastava said...

यथा नाम तथा गुण /आपकी लिखी दो लाइन दे मध्य जो रिक्त स्थान होता है उसे पढ़ना पढता है /इसी लिए आपने ""बिटवीन द लाइन नाम रखा है ब्लॉग का /भारत बाली बात भी अच्छी लिखी है / "" मैंने माना कि तीर सारे दुश्मनों के चलाए हुए है ,मगर जितने ठिकाने है सारे दोस्तों के बताये हुए है "" भावः भी अच्छा है व्यग्य भी है /सुंदर