Wednesday, December 31, 2008

पत्नी की डांट और नव वर्ष की सुबह

तेरी स्याह जुल्फों में ढली शाम
आफताब की नव किरणों ने दस्तक बंद पलकों पर
नव उल्लास नव वर्ष
वो शरमाई , मुस्कुरायी
तड़फ से जो हमने थामा उसका हाथ
पड़ी डांट
बच्चे बड़े हो गए हे
चाय पी लो
सपने में भी जब हाथ थामोगे,
मेरा होगा
ख्वाबों की फ्रेम तुम रोज बदलते हो
पर तस्वीर मेरी ही रहेगी
सात जन्मो का ठेका हे प्यारे
तन्हाई के मजे तो सात फेरे लेते ही खत्म हो जाते हे
तुम्हारे जेसे भंवरे भूख लगते ही घर आते हे
और रहा इश्क का सवाल
तुम्हे नींद तो मेरी बाहोँ में आती हे
माशूका ठण्ड गुजरते ही पिघल जाती हे

Tuesday, December 30, 2008

नो दो ग्यारह

नव वर्ष की संध्या पर
मचा हुआ हे गोरख धंधा
डांस और मस्ती unlimited
विजातीय साथी होना जरुरी
विज्ञापनों की लहर
अखबारों में ऐसी
लगता हे इस रात की सुबह नही ......
कपल पास का जुगाड़ कीजिये
सवेरे नो दो ग्यारह हो जाइये

Sunday, December 28, 2008

महीना

लो भिया हो गया महीना पूरा
ठण्ड भी बढ गई
कसमे वादे भी ठिठुर गए
आंखों में लहू पानी में बदल गया
खूब अभियान चलाया
नेता जी का पोस्टर छपवाया
शाम को बाटी पंजीरी
घर जा कर सुती गरम कचोरी
जो थोड़े बहुत गरम हे
समय के साथ ठंडे हो जायेंगे
बांस पर खड़े लोकतंत्र से
इससे ज्यादा उम्मीद मत करो

Wednesday, December 17, 2008

जूता मत चुराइए

तुमने मुझे मारकर

अनमोल कर दिया

वरना ये तो घर पर

रोज जूते खाता हे ,

सामजिक बदनाम

हम पहले से थे

तुमने मुझे मारकर

ग्लोबल चमका दिया,


सभ्य समाज में जूतम पैजार जारी हे

आज तुम्हारी तो कल हमारी बारी हे

जूते चलाना लोकतंत्र में शामिल हे

दहेज़ के लोभियों का जूता मत चुराइए

, सिर्फ़ मारीये

Saturday, December 13, 2008

लोकतंत्र के पहलवानों

वाह रे लोकतंत्र के पहलवानों

नुरा कुश्ती जारी हे

वाह रे वीर सपूतों

अब तक तो पत्नी ही दांव पर लगाई

अब माँ पे नज़र ...............


खूब रेवडी बांटी

खूब चांदी काटी

जाँच जारी हे

तवायफ ज्यादा प्यारी हे

अब पत्नी पे नज़र ...............


टीवी चॅनल के बिग बोसोँ

इश्क के प्लेबायों

सजे धजे सफ़ेद हाथियों

सत्ता की हरी भरी घास के शोकिनोँ

अब माशूका पे नज़र ....................

Monday, December 8, 2008

पुराने शहीद

पेड़ के नीचे से जेसे ही निकले
किसी ने बालों को पकड़ कर ऊपर उठा लिया
क्यों बेटा
खिसक गई जमीन
बता में कोंन हूँ ?
हमने कहा
पुराने शहीद हो
हिंसा पर उतर आये हो ,
जबकी हम आपकी बिरादरी को बढावा दे रहे हें
चुनाव में आपका फोटो लगाया
कुर्सी पाई
अभी चोराहे पर आपका शिलान्यास कराया
और आपने बाल पकड़ कर हमे ही लटकाया
बातचीत जारी हे
आपके हित का
हमने ध्यान रखा हे
हिंदुस्तान में हरे भरे उपवनों के बीच एक VIP स्थान रखा हे

Friday, December 5, 2008

महीने का किराना

बिना खाए पत्नी का ताना

हजम नही होता पति को खाना

देखकर इस महीने का किराना

हम ने पुछा
ये इंतनी वेराइटी की मोमबत्तियां !

इतने पोस्टर कलर और पेपर

क्या बच्चों के स्कूल में

प्रोजेक्ट के लिए लाया हे

बोली तुम

ठहरे दीया छाप ,

सामाजिक सरोकार तो मुझे निभाने हे

हर occassion पर क्या पहले बाज़ार जायुंगी !

कालोनी में पॉँच छे पके आम

हॉस्पिटल में हे

कम से कम दो तीन मोमबत्तियां

अभी लग जाएँगी

Wednesday, December 3, 2008

चिटठा जगत से जुगाड़ व्यंग की

चीख-चीख कर खबर बेचने वाले एँकर को देखो तो लगता है की फुटपाथ पर कोई साँडे का तेल बेच रहा हो. [17]
मुंबई स्प्रिट ??? [15]

पांच पैसे ने बचाई जान! [13]
" लुन्गाडे यार किसके ? खाए पीये और खिसके !" [13]


ताऊ का सैम और "अ" हटाकर अच्युतानंदन [11]
मय्यत में कन्धा देने को, अब्बू तक पास न आयेंगे [10]
एक दिलजले के सवाल [9]
****कोई मेरे जख्म सी दे [9]
उस्तरा किस के हाथ? [9]
आप तो जानते हैं इन नेताओं को [7]
उसे छिप छिपकर देखने की कोशिश करता हूं... [7]
वेलकम भूतनी पुत्र [7]
आग घर के ही चरागों से है इस घर मे लगी [ग़ज़ल] -


सात दिन सात पोस्ट!! [6]
मुम्बई - आतंक के बाद [6]
क्या हुस्न है क्या जमाल है ... [6]
हम स्वाभिमानी फिर से कब होंगे ? [6]
एक तो बरसाती मेंढक, दूसरा चश्माधारी, तीसरा आँख का अँधा और चौथा भोंपु [6]
क्या आप ने यह नक़्शा देखा है?
[5] पत्रकारो... तुम कहाँ हो? [5]
वह न्यूज चैनल का प्रोड्यूसर है [5]
मरी बिल्ली पर चादर [5]
मुम्बई एपिसोड और हमारा राष्‍ट्र-प्रेम : एक पहलू यह [4]
आज मनमोहन को एक जोरदार थप्पड़ जड़ा है जरदारी ने [4]
जीने और जीने में फ़र्क बहुत है...! [4]


ब्लॉग पर traffic बढ़ाएं-3 [4]
आतंकवादी [4]
A Wasp - एक ततैया [4]
लो हो गई श्रऋधांजलि पूरी : हमारा कदम [4]
इबारत [4]
टिप्पणियों में संयत भाषा का प्रयोग करें [4

Monday, December 1, 2008

खड़े रहो अब चोराहे पे

हवाई जहाज लेट हो गया
मोटर बोट टाइम पे आयी
लोकतंत्र के सांड
खड़े रहो अब चोराहे पे
तुम्हे तो लाल रंग से इश्क हे
चाहे लाल बत्ती हो
या खून का रंग
खड़े रहो अब चोराहे पे
वेसे भी पचास साठ साल के हो गए हो
आवारगी छोड़ो अपनी देखो ,
इधर उधर मत झांको
वरना खड़े रह जायोगे चोराहे पे