वाह रे लोकतंत्र के पहलवानों
नुरा कुश्ती जारी हे
वाह रे वीर सपूतों
अब तक तो पत्नी ही दांव पर लगाई
अब माँ पे नज़र ...............
खूब रेवडी बांटी
खूब चांदी काटी
जाँच जारी हे
तवायफ ज्यादा प्यारी हे
अब पत्नी पे नज़र ...............
टीवी चॅनल के बिग बोसोँ
इश्क के प्लेबायों
सजे धजे सफ़ेद हाथियों
सत्ता की हरी भरी घास के शोकिनोँ
अब माशूका पे नज़र ....................
15 comments:
वाह रे लोकतंत्र के पहलवानों... वाह वाह आप ने तो खुब भीगो भीगो के जुते मारे है इन कमीनो को लेकिन यह बेशर्म है...्बहुत ही सुंदर कविता कही आप ने.
धन्यवाद
बहुत जोरदार मकरन्द सर ! पर आप हो कहां और पोस्टिन्ग कहां से कर रहे हो ?
राम राम !
बहुत अच्छी लताड़ लगाई है ये इसी लायक हैं।
bahut sahi kaha,bahut khub
badhiya kataksh kiya hai.......
nice post.
अच्छा िलखा है आपने । भाव और िवचारों का अच्छा समन्वय है । मैने अपने ब्लाग पर एक लेख िलखा है-आत्मिवश्वास के सहारे जीतें िजंदगी की जंग-समय हो तो पढें और प्रितिक्रया भी दें-
http://www.ashokvichar.blogspot.com
वाह रे लोकतंत्र के पहलवानों
नुरा कुश्ती जारी हे
वाह रे वीर सपूतों
अब तक तो पत्नी ही दांव पर लगाई
अब माँ पे नज़र ...............
मकरंद भाई,गज़ब का व्यंग है ,आपका स्टाइल बना रहे !!!
हर कोई आप जैसा खरा-खरा सुनाता तो हम आज कहाँ होते सबके दिल में ऐसी अंगार क्यूँ नही भड़कती....
इसे भुजने मत्त देना कभी भी.....
बहुत ही कमाल का सत्य लिखा है.....
अक्षय-मन
मकरन्द जी बहुत ही अच्छा और सटीक लिखा है।
इनकों कैसा भी पहलवान कहना, पहलवान शब्द की बेकद्री है।
रिश्तों की तो छोड़ें, मतलब के लिये तो ये खुद बिकने को तैयार हैं। बिक ही रहे हैं, नहीं तो किस माई की औलाद की हिम्मत होती कि हमें टेढी नज़र से भी देख लेता।
बहुत ही बढ़िया सुंदर रचना .बधाई .
बहुत ही बढ़िया सुंदर रचना .बधाई .
खूब रेवडी बांटी
खूब चांदी काटी
जाँच जारी हे
तवायफ ज्यादा प्यारी हे
आज की राजनीति के सौदागरों का चित्रण बखूबी किया है आपने, बधाई!
सटीक व्यंग्य के लिये साधुवाद स्वीकारें
वाह बहुत खूब. क्या खूब कटाक्ष किया है.
ऊपरवाले से यही दुआ है की आपकी कलम निरंतर चलती रहे.
Post a Comment