Saturday, December 13, 2008

लोकतंत्र के पहलवानों

वाह रे लोकतंत्र के पहलवानों

नुरा कुश्ती जारी हे

वाह रे वीर सपूतों

अब तक तो पत्नी ही दांव पर लगाई

अब माँ पे नज़र ...............


खूब रेवडी बांटी

खूब चांदी काटी

जाँच जारी हे

तवायफ ज्यादा प्यारी हे

अब पत्नी पे नज़र ...............


टीवी चॅनल के बिग बोसोँ

इश्क के प्लेबायों

सजे धजे सफ़ेद हाथियों

सत्ता की हरी भरी घास के शोकिनोँ

अब माशूका पे नज़र ....................

15 comments:

राज भाटिय़ा said...

वाह रे लोकतंत्र के पहलवानों... वाह वाह आप ने तो खुब भीगो भीगो के जुते मारे है इन कमीनो को लेकिन यह बेशर्म है...्बहुत ही सुंदर कविता कही आप ने.
धन्यवाद

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत जोरदार मकरन्द सर ! पर आप हो कहां और पोस्टिन्ग कहां से कर रहे हो ?

राम राम !

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत अच्छी लताड़ लगाई है ये इसी लायक हैं।

Unknown said...

bahut sahi kaha,bahut khub

रश्मि प्रभा... said...

badhiya kataksh kiya hai.......

Dr. Ashok Kumar Mishra said...

nice post.
अच्छा िलखा है आपने । भाव और िवचारों का अच्छा समन्वय है । मैने अपने ब्लाग पर एक लेख िलखा है-आत्मिवश्वास के सहारे जीतें िजंदगी की जंग-समय हो तो पढें और प्रितिक्रया भी दें-

http://www.ashokvichar.blogspot.com

विक्रांत बेशर्मा said...

वाह रे लोकतंत्र के पहलवानों

नुरा कुश्ती जारी हे

वाह रे वीर सपूतों

अब तक तो पत्नी ही दांव पर लगाई

अब माँ पे नज़र ...............


मकरंद भाई,गज़ब का व्यंग है ,आपका स्टाइल बना रहे !!!

!!अक्षय-मन!! said...

हर कोई आप जैसा खरा-खरा सुनाता तो हम आज कहाँ होते सबके दिल में ऐसी अंगार क्यूँ नही भड़कती....
इसे भुजने मत्त देना कभी भी.....
बहुत ही कमाल का सत्य लिखा है.....


अक्षय-मन

PREETI BARTHWAL said...

मकरन्द जी बहुत ही अच्छा और सटीक लिखा है।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा said...

इनकों कैसा भी पहलवान कहना, पहलवान शब्द की बेकद्री है।
रिश्तों की तो छोड़ें, मतलब के लिये तो ये खुद बिकने को तैयार हैं। बिक ही रहे हैं, नहीं तो किस माई की औलाद की हिम्मत होती कि हमें टेढी नज़र से भी देख लेता।

समयचक्र said...

बहुत ही बढ़िया सुंदर रचना .बधाई .

समयचक्र said...

बहुत ही बढ़िया सुंदर रचना .बधाई .

Smart Indian said...

खूब रेवडी बांटी
खूब चांदी काटी
जाँच जारी हे
तवायफ ज्यादा प्यारी हे


आज की राजनीति के सौदागरों का चित्रण बखूबी किया है आपने, बधाई!

योगेन्द्र मौदगिल said...

सटीक व्यंग्य के लिये साधुवाद स्वीकारें

Manuj Mehta said...

वाह बहुत खूब. क्या खूब कटाक्ष किया है.
ऊपरवाले से यही दुआ है की आपकी कलम निरंतर चलती रहे.