हवाई जहाज लेट हो गया
मोटर बोट टाइम पे आयी
लोकतंत्र के सांड
खड़े रहो अब चोराहे पे
तुम्हे तो लाल रंग से इश्क हे
चाहे लाल बत्ती हो
या खून का रंग
खड़े रहो अब चोराहे पे
वेसे भी पचास साठ साल के हो गए हो
आवारगी छोड़ो अपनी देखो ,
इधर उधर मत झांको
वरना खड़े रह जायोगे चोराहे पे
खालीपन
-
नये पहाड़ चढ़ते हैं
सपाट पगडंडियों से
जो थक चुके हैं
नये व्यंजन पकाते है वे
जो पुरानों से पक चुके हैं
***
जो खुश हैं यथास्थिति से
उन्हें कुछ कमी नहीं
वे कभी...
4 weeks ago
9 comments:
bahut satik
शुक्रिया मकरंद!
आप भी अच्छी व्यंग्य कविता लिखते हैं...
अच्छी व्यंग्य रचना!
बहुत लाजवाब मकरंद सर !
मकरंद भाई बहुत खुब .
धन्यवाद
सटीक मकरंद साब्।
Tez dhaar.
हवाई जहाज लेट हो गया
मोटर बोट टाइम पे आयी
लोकतंत्र के सांड
खड़े रहो अब चोराहे पे
" very well said"
regards
बहुत सटीक व्यंग्य
Post a Comment