लो भिया हो गया महीना पूरा
ठण्ड भी बढ गई
कसमे वादे भी ठिठुर गए
आंखों में लहू पानी में बदल गया
खूब अभियान चलाया
नेता जी का पोस्टर छपवाया
शाम को बाटी पंजीरी
घर जा कर सुती गरम कचोरी
जो थोड़े बहुत गरम हे
समय के साथ ठंडे हो जायेंगे
बांस पर खड़े लोकतंत्र से
इससे ज्यादा उम्मीद मत करो
लेखक को जानिये - अनुराग शर्मा के कुछ और साक्षात्कार
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9 जुलाई 2019 को प्रकाशित साक्षात्कार-वार्ताओं की शृंखला में कुछ और विडियो
यहाँ प्रस्तुत हैं।
*विडियो Video*
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*अनुराग शर्मा क...
1 week ago
10 comments:
शाम को बाटी पंजीरी
घर जा कर सुती गरम कचोरी
बहुत बढिया लगी मकरंद सर आप्की पंजीरी और कचौरी ! ठंड ज्यादा है जरा थोडी सी कचोरी और गजक लेते आना ! सब इन्तजार कर रहे हैं ! :)
रामराम !
कर्ज की पीते थे मै और समझते थे कि हाँ
रंग लायेगी हमारी फाकामस्ती एक दिन
ठण्ड भी बढ गई
कसमे वादे भी ठिठुर गए
आंखों में लहू पानी में बदल गया
" wah wah very well expressed"
regards
बांस पर खड़े लोकतंत्र से
इससे ज्यादा उम्मीद मत करो.....
यही सत्य है......
वाह -वाह क्या कहने
क्या बात है...बहुत सटीक लिखा आप ने इस लोकतंत्र की बात.
धन्यवाद
सही कहा इससे ज्यादा उम्मीद करनी भी नही चाहिए.....
अभी तो लहू पानी बना ऐसा न हो की पानी भी न बचे....
बहुत ही सटीक लिखा है फ़िर से :)
अक्षय-मन
"shaam ko baanti panjiri....."
aaj ke samay pe accha vyang kasa aapne.
bahut badhiya
वास्तव में सर्दी ज्यादा है और उम्मीद भी कम। पर यह समय भी कट जायेगा।
sundar vyang saheb ..
aaj ka daur or aapki rachna katu satay hai.
aapko padhna accha lagaa
samaj or desh ki moolbhoot kuritiyo par kataksh kiya hai aapne.
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