Showing posts with label dowery. Show all posts
Showing posts with label dowery. Show all posts

Wednesday, December 17, 2008

जूता मत चुराइए

तुमने मुझे मारकर

अनमोल कर दिया

वरना ये तो घर पर

रोज जूते खाता हे ,

सामजिक बदनाम

हम पहले से थे

तुमने मुझे मारकर

ग्लोबल चमका दिया,


सभ्य समाज में जूतम पैजार जारी हे

आज तुम्हारी तो कल हमारी बारी हे

जूते चलाना लोकतंत्र में शामिल हे

दहेज़ के लोभियों का जूता मत चुराइए

, सिर्फ़ मारीये