Saturday, January 3, 2009

नया साल और नया ब्रांड

सभी प्रकार के कांडों में लिप्त हे सांड
अब लायो कोई नया ब्रांड,
नया साल जो आ गया
सीडी , दलाली , संसद ,रिश्वत ,
आतंक ताज ओबेराय मुंबई
ये तो पिछला साल खा गया,
ब्रांड इंडिया चमक रहा चारों और
शेयर बाज़ार बना गया अर्थशास्त्रियों को ढोर,
इस बार तो ब्यूटी को भी नही मिला भाग्य का साथ
हिरोईनों ने कर लिया बिकनी को आत्मसात,
रुपहले परदे पर कपडों की क्या बिसात
नए साल में और प्रयोग होंगे ,
इस बार तुम जो भी ब्रांड लायो
इतनी कृपा करो माँ को मत बेच खाओ

11 comments:

Anonymous said...

bahut badhiya shabdon me aaj ke kalyug ko vyakt kiya hai.. nav varsh ki shubhkaamnaye..

रश्मि प्रभा... said...

samay chitra achha khincha hai

महेन्द्र मिश्र said...

नए साल में नए ब्रांड लाओ पर माँ को मत बेचो .....बढ़िया है जमाये रहो भैय्या .

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत बढिया मकरंद सर.

रामराम.

hem pandey said...

इस बार तुम जो भी ब्रांड लायो
इतनी कृपा करो माँ को मत बेच खाओ
-सुंदर

Dr. Amar Jyoti said...

नये वर्ष की औपचारिक शुभकामनाओं से हट कर की गई इस कामना के लिये बधाई और आभार।

विक्रांत बेशर्मा said...

बहुत ज़बरदस्त रचना !!!!!

Anonymous said...

नये वर्ष की शुभकामना..

Arshia Ali said...

नये साल की मुबारकबाद कुबूल फरमाऍं।

Smart Indian said...

मकरंद भाई, आप तो गज़ब कविता लिख रहे हो, बधाई!

Dikshya said...

बढीया रचना ।