घोटाला वीरों
शत शत नमन अभिन्दन
घिसने से फेल रही तुम्हारी कीर्ति
हे आईटी के चंदन
अर्थशास्त्र के कला बाजों
स्वतंत्र चाटुकारों
शेर घायल होते ही काटने लगे
तंत्र के पहलवानों
नूरा कुश्ती फिर शुरू
आर्थिक सलाह्करोँ
बताओ
अब मोटर बोट कहाँ से आयी ?
तुमने जाँच बीठा दी
लोली पॉप की खाली डंडी
हमे पकड़ा दी
भारत की आर्थिक प्रगति में अभी गटर के खुले चेम्बर और भी हें
उलटबाँसी सूरज की
-
*(शब्द व चित्र: अनुराग शर्मा)*
सुबह के सूरज की तो
शान ही अलग है
ऊँचे लम्बे पेड़ों पर
शाम की बुढ़ाती धूप भी
देर तक रहती है मेहरबान
उपेक्षित करके छोटे पौधों...
1 week ago







14 comments:
तंत्र के पहलवानों
नूरा कुश्ती फिर शुरू
आर्थिक सलाह्करोँ
बताओ
अब मोटर बोट कहाँ से आयी ?
बहुत लाजवाब मकरंद सर.
रामराम.
तनिक नेताओं की बढ़ी समृद्धि पर भी इनायत करें कुछ पंक्तियां। इनकी एकाउण्टेबिलिटी तो और भी कम है!
ज्ञानदत्त पांडेय जी बिल्कुल सही कह रहे हें....बाकी अच्छी लगी आपकी रचना।
सबके ढक्कन बंद करवा दो, पर कैसे? जाँच और घोटाला दोनों में मिली भगत है भई!
---मेरा पृष्ठ
गुलाबी कोंपलें
अच्छा व्यंग है। बधाई।
bahut mast....
घोटाला वीरों
शत शत नमन अभिन्दन
घिसने से फेल रही तुम्हारी कीर्ति
हे आईटी के चंदन
" ha ha ha ha ha ha ha great sense of humour.."
regards
Bahut sahi kaha...Sateek aur Sundar Vyangy hai.
lollipop ki khali dandi hamen pakda di.....
kya kataksh hai !
अच्छा व्यंग्य:)
यथार्थ सार्थक लाज़बाब इससे अधिक कुछ कहना अशक्य है
भाई वाह...बहुत खरी खरी बात कही है आपने अपनी रचना में...
नीरज
भारत की आर्थिक प्रगति में अभी गटर के खुले चेम्बर और भी हें......
और कितने झकते देंगे करंट सा दोड़ता है इन शब्दों में...
हमारी पागल सरकार जरुर ठीक हो जायेगी.....
आपके दिए इन झटकों से ...
अक्षय-मन
अच्छा वियंग और बढीया रचना ।
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