कुत्ते अब लिफ्ट से
चदते उतरते हें
आदमी सीडियों से
शुगर का जमाना हें,
माताएं इठलाती हें
फ्रोजेन फ़ूड खिलाती हें
सॉफ्ट ड्रिंक पिलाती हें
साइज़ जीरो का जमाना हें,
सात फेरे लेने से
नही होती शादी
अब तो
गठबंधन का जमाना हें
लोकतंत्र अब
बुडा हो चला
कटोती के चलते
पेंशन लेने का जमाना हें
लेखक को जानिये - अनुराग शर्मा के कुछ और साक्षात्कार
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9 जुलाई 2019 को प्रकाशित साक्षात्कार-वार्ताओं की शृंखला में कुछ और विडियो
यहाँ प्रस्तुत हैं।
*विडियो Video*
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*अनुराग शर्मा क...
1 month ago
19 comments:
वाह, तुलसी बाबा कलियुग का आधुनिक विवरण लिखते तो कुछ यही प्रतीक लेते!
भौतिकता से परेशान हमारे वर्तमान की प्राणलेवा विवशताओं और विसंगतियों का सुन्दर चित्रण किया है आपने ।
आपको पढने में आनन्द आता है । अपने लिए नहीं, हमारे लिए लिखिएगा ।
वाह दोस्त, वाह
अभी अभी मैने आपकी चार रचनायें पढीं, मदारी वाली रचना मुझे बहुत अच्छी लगी.
कुत्ते अब लिफ्ट से
चदते उतरते हें
आदमी सीडियों से
शुगर का जमाना हें,
" againa mind blowing creation in your own unique style.... liked this one very much... keep it up"
Regards
माताएं इठलाती हें
फ्रोजेन फ़ूड खिलाती हें
सॉफ्ट ड्रिंक पिलाती हें
साइज़ जीरो का जमाना हें,
बहुत सुंदर मकरंद सर ! बधाई !
कुत्ते अब लिफ्ट से
चदते उतरते हें
आदमी सीडियों से
शुगर का जमाना हें,
लाजवाब !
बहुत खूब !
लीजिये मकरंद जी आ गये आपके ब्लॉग पर ..आपको पढ़ा... बहुत अच्छा लगा... बहुत-बहुत बधाई... अब तो आना जाना लगा ही रहेगा ...आपकी बाकी की पोस्ट भी पढ़ती हूँ... आप मेरे ब्लॉग पर आये उसके लिये आभारी हूँ...
मारकंड जी, बहुत बढ़िया लिखा है।
मकरंद जी,
मैं अक्सर यहां से होकर गुजरता हूं। टिपियाने में आलस हो जाता है। अब याद रखुंगा दरवाजा खटखटा कर आगे बढ़ना।
कुत्ते अब लिफ्ट से
चदते उतरते हें
आदमी सीडियों से
शुगर का जमाना हें,
what can be more evocative and expressive than this. my heartiest congratulations on such wonderful writing. you express the most complicated thoughts with the utmost ease. all the best and hope to keep reading such nice poetry.
vah ji
betareen
लाजवाब व्यंग्य-
सात फेरे लेने से
नही होती शादी
अब तो
गठबंधन का जमाना हें
मकरंद जी,
गज़ब की निगाहें और विलक्षण तार्किक बुद्धि है आप की.
आशा है , भविष्य में भी आप ऐसे ही प्रसंग ले कर आते रहेंगे.
चन्द्र मोहन गुप्त
kamaal ka lekhan hai....wah
वाह अच्छा व्यंग्य कर लेते हो आप...
बहुत सुन्दर!!
सही कहा. शादी तो षड़यंत्र है. अब लिव-इन का ज़माना है.
sahi zero figure aur sugar ka zamana hai:) bahut umada.
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