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लेखक को जानिये - अनुराग शर्मा के कुछ और साक्षात्कार
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9 जुलाई 2019 को प्रकाशित साक्षात्कार-वार्ताओं की शृंखला में कुछ और विडियो
यहाँ प्रस्तुत हैं।
*विडियो Video*
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*अनुराग शर्मा क...
1 week ago
13 comments:
नए नए ब्लॉग
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पाठक लापता हे
खोज जारी हे
बहुत सही लट्ठ दिया भाई मकरंद सर आज तो !
गजब लिख दिया आज तो आपने ! धन्यवाद !
वबालो-कमाल ज़ारी रहे!
HA HA HA HA AAPKI KHOJ KAMAL KI HAI
ACHE ACHEO KI JAAN LE LETI HAI IS BAAR BHI MAJA AA GAYA SAHI KAHA ISKA 3SRA PART KAB AA RAHA HAI INTZAAR RAHEGA ...............
YE TO KAMAL KI HAI ..........
SACH KO BADE ALSG DHANG SE PARASTUT KIYA HAI AAPNE.......
ZABARDAST........
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" ha ha ha shee hai ye khoj jaree hee rhee...khoj puree ho jaye to bhee btaa dejeyega"
regards
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बहुत ही सुंदर लिखा आप ने
धन्यवाद
बहुत सुंदर लिखा है.......बधाई।
बहुत ही सुंदर ..
ha ha bahut badhiya
बढ़िया रचना के लिये बधाई स्वीकारें
jane is khoj ka kya anjaam niklega !
भाई क्या सुंदर खोज है और क्या सुंदर सोच है /नई नारी को घरोंदा और ब्लॉग के लिए पाठक /सर्वे और आसन की और कपड़ो व डिजाइन की बात प्यारी लगी /यह समझ नहीं आया की खोज कपडों की और आधुनिक डिजायनरों की है /आसन और सर्वे पर मुझे बहुत कुछ याद आरहा है लेकिन एक तो ब्लॉग पर एक नन्हे मुन्ने ,सुंदर ,प्यारे ,मनमोहक ,खूबसूरत बच्चे का चित्र डाला है ,हंसी मज़ाक में कोई ग़लत शब्द न लिखा जाए ,बहुत तौल तौल कर लिखना पढ़ रहा है /हर खोज कुछ सोचने को विवश करती कविता /अब खोज का तो ये है की हम
हम आधुनिक संगीत में सुर ताल लय गाना किस राग पर आधारित है तथा गाने के बोल के अर्थ ढूँढता है -हस्त रेखाओं में भविष्य और जन्मपत्री में भाग्य ढूँढता है -राजनीती में चरित्र और आधुनिक पीढ़ी में संस्कार ढूँढता है -वर्तमान समस्याओं का समाधान हजारों साल पुराने ग्रंथों में ढूँढता है /कुछ लोगों की आदत होती है की वे कुछ न कुछ ढूंढते ही रहते है -कहते है ढूँढने में हर्ज़ ही क्या है /
कुछ लोग अपनी दैनिक दिनचर्या को त्याग कर जीवन का उद्देश्य खोजते है / हम कौन हैं क्या हैं कहाँ से आए है क्या लाये थे क्या ले जायेंगे इत्यादी इत्यादी और इस चक्कर में या तो वे कार्यालय देर से पहुँचते हैं या उनकी टेबिल पर फाइलों का अम्बार लग जाता है /उनकी पत्नियां सब्जी और आटे के पीपे का इंतज़ार करती रहती हैं / में कौन हूँ -कहाँ से आया हूँ क्यों आया हूँ ==अरे तू तू है घर से दफ्तर आया है काम करने आया है -बात ही ख़त्म /
कुछ लेखक लेख लिखकर डाक में डालकर चौथे दिन से पेपर में अपना नाम खोजने लगते हैं उधर संपादक महोदय उस लेख को पढ़ते हैं तो टेबिल की दराज़ में सरदर्द की गोली खोजने लगते हैं और अगर छाप दिया तो पाठक क्या खोजेगा कुआ या खाई /
इस धरती पर स्वर्ग और नरक खोजने वाले हजारों हैं जिनको यहाँ उपलब्ध नहीं हो पाता है -वे ऊपर है इसी कल्पना करके जीवन जैसा जीना चाहिए वैसा जी नहीं पाते किसी ने कहा है =तू इसी धुन में रहा मर के मिलेगी जन्नत -तुझ को ऐ दोस्त न जीने का सलीका आया
बहुत सुंदर लिखा हैं! अच्छा लगा!
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