शाम ढलते तेरी जुल्फों से चाँद को झाँका, इतने में कम्भखत मोबाइल कांपा
आदत से मजबूर बटन दबाया आवाज आई ,चाँदनी की रिंग टोन मुफ्त उपलब्ध हे
sms कीजिये moon1234..
इधर मोबाइल बंद हुआ उधर किसिने दरवाजा खटखटाया
सामने नजाए आई चाँदनी ,
सर, आप चाँद से परेशान हें,हमारी कंपनी का तेल लगाइए
शर्तिया तीन महीने में काले बालों से लेस हो जाइये .
जैसे ही किया दरवाजा बंद,
अपनी उम्र का ख्याल करो इतनी देर क्या गूंटर गु कर रहे थे
चाँद बादलों में जा चुका था
और मुस्कुरा रही थी चाँदनी
लेखक को जानिये - अनुराग शर्मा के कुछ और साक्षात्कार
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9 जुलाई 2019 को प्रकाशित साक्षात्कार-वार्ताओं की शृंखला में कुछ और विडियो
यहाँ प्रस्तुत हैं।
*विडियो Video*
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*अनुराग शर्मा क...
1 week ago
24 comments:
ओए होए होए ये क्या हो गया जैसे ही चांद को झांका कंबख्त मोबाइल कांपा
मालिक ऐसे में मोबाइल को बंद कर दो और दरबाजा खोल देना चाहिए था अच्छी रचना के लिए बधाई
चाँद बादलों में जा चुका था
और मुस्कुरा रही थी चाँदनी
मकरंद सर , ज़रा संभलकर ! लगता है आज घर पर फोन करना ही पडेगा ! :)
बहुत बढिया ! शुभकामनाएं !
छा गए आज तो ! क्या जलवे बिखेरे हैं ?
बहुत सुंदर ! अच्छा लिखा है । बहुत खुशी हुई पढकर। विष्वास है ऐसी ही रचनाएं आगे भी पढने को मिलती रहेगी।
bahut shandaar....
गंभीर दृष्टि है !
वास्तव में - प्रोफाइल की फोटो से बहुत उलट गम्भीर रचना!
धन्यवाद।
waah chandani tel bech rahi hai,umar se ghate chand ko phir ugane ke liye:),bahut hi achhi rachana rahi,ek muskan chod gayi mukhmandal par
भाई अगली बार मोबईल को बंद कर के, बाहर के दरावाजे पर बाहर से ताला लगा कर, पिछल्र दरवाजे से अन्दर आ कर लाईट बन्द कर के,ओर चांदनी का तेल पहले से खरीद कर, आराम से अपने चांद को देखे, ना कोई मोबाईल की खत्टपट, ना कोई अन्दर आये , ना कॊई तेल बेचे.... मोजा ही मोजा
धन्यवाद
भाई यह जो फ़ोटो लगा रखी है क्या ६० साल पहले की है,
वाह मकरंद जी इधर चंद्र यान चाँद प् पहुंचा आपने हर चाँद को याद कर लिया वह मज़ा आगया
makrand ji...bahut badhiya..
idher chaand per rashtriye dhwaj fehraya ja raha hai aur idher aapke mobile me chand ki ring tone b aa gayi..bahut khoob
मज़ा आ गया मकरंद भाई!
चाँद बादलों में जा चुका था
और मुस्कुरा रही थी चाँदनी
"ha ha ha ha ha ha unpredictable thoughts, great sense of humour"
Regards
areyyyyyyyy yaar kamal kar rahe ho..........
doti phad kyun rumal kar rahe ho.............
yahan par ek chand nasib nahi ho raha aur wahan tum na jane kitne chand ugaa rahe ho:)
bahut khub.....:)
aapka swagat hai....
"बदले-बदले से कुछ पहलू"
http://akshaya-mann-vijay.blogspot.com/
शाम ढलते तेरी जुल्फों से चाँद को झाँका, इतने में कम्भखत मोबाइल कांपा
आदत से मजबूर बटन दबाया आवाज आई ,चाँदनी की रिंग टोन मुफ्त उपलब्ध हे
sms कीजिये moon1234..
..............बेहतरीन प्रस्तुति !!!
bus check kiya blog chal raha ya nahi
you're really a good फण्डेबाज!
bahut sundar rachna hai ,
comment ke liye shukriya
renu
धन्यवाद......अब मिलते रहेंगे,
बढ़िया है.....
ur style is amazing. n thanx fr visiting and commenting my blog.
चांदनी का रिंग टोन........क्या बात है
बहुत ही मजेदार
मकरंद भाई,
गजब की सोंच -शक्ति है आपके पास और उसे शब्दों के जाल में बुन कर लाजवाब रूप से पेश करने की शैली में भी लगता है कि आप को महारत हासिल है.
सुंदर अभिव्यक्ति की जितनी भी तारीफ की जाय कम है.
चन्द्र मोहन गुप्त
आपकी कविता बहुत गंभीर भाव भरा होता है बहुत सुंदर प्रस्तुति
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