Monday, September 1, 2008

बेहाल

वर्तमान बेहाल

भूत के कमाल

भविष्य विकराल

लोकतांत्रिक धमाल


वनों से पेड़ हाफ

बाढ़ से कई गाँव साफ़

गीले हैं लिहाफ

मंगाई का ग्राफ


वातानुकूलित कमरों का कमाल

कहीं हर्ष कहीं कर्फ्यू

भूमि वही

सिर्फ़ रक्त सिंचित

9 comments:

ताऊ रामपुरिया said...

वनों से पेड़ हाफ
बाढ़ से कई गाँव साफ़
गीले हैं लिहाफ
मंगाई का ग्राफ
बहुत बढिया लिखा सर ! मजा आया !

विक्रांत बेशर्मा said...

वनों से पेड़ हाफ
बाढ़ से कई गाँव साफ़
गीले हैं लिहाफ
मंगाई का ग्राफ
बहुत अच्छे मकरंद !!!!!!!!!!!!!!!

राज भाटिय़ा said...

अरे वाह अर्थशास्त्री के राज्य मे तो भईया ऎसे ही हिसाब होगा.
धन्यवाद

Pawan Kumar said...

bakai bahut bhadiya......

seema gupta said...

वर्तमान बेहाल
भूत के कमाल
भविष्य विकराल
लोकतांत्रिक धमाल

" mind blowing, emotionally written on the subject, well said"

Regards

Smart Indian said...

अफ़सोस, मगर यही सच है मकरंद भाई!
कविता बहुत सुंदर है.

योगेन्द्र मौदगिल said...

सुंदर कविता..
यथार्थपरक....
निरन्तरता बनाए रखें..

PREETI BARTHWAL said...

वनों से पेड़ हाफ
बाढ़ से कई गाँव साफ़
गीले हैं लिहाफ
मंगाई का ग्राफ
बहुत खूब सुन्दर

दीपक said...

वनों से पेड़ हाफ
बाढ़ से कई गाँव साफ़

क्या बात है !!