पटना यात्रा के अनुभव भाग - 2
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अगली सुबह सोकर उठे तो चाय सुडकने की तलब लगी और किसी गुमटी ठेले पर चाय
सुडकने का एक अलग ही आनंद होता है. गुमटी पर चाय सुडकने जावो तो वहां के खास
देशी लोगों ...
नया मौसम
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नया मौसम
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*जिस दम रात के उस पहर*
*ओस का आलिंगन पा कर*
*किरणों की बारिशें*
*खामोशियों के सैलाब*
*तुमाहरी कलाई थाम कर*
*बे इन्तहा रक्स कर...
कहते है हिन्दूस्तानी है हम....(सत्यम शिवम)
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कहते है हिन्दूस्तानी है हम,
पर जुबान पे अंग्रेजों की भाषा बसती है,
देख के अपनी विलायती तेवर,
हिन्दी हम पर यूँ हँसती है।
क्या बचपन में पहला अक्षर,
माँ कहने मे...
दोस्ती
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बडे रुसवा होगये कुछ दोस्त हमारे
अब वो याद ही नही करते
पहेले तो रोज मिलते थे
अब मिस काल तक नही करते
खुशबू दोस्ती की इश्क से कम नही होती
इश्क पर ही ये जहां खत्...
भरी खोपडी मे कुछ नही समा सकता.
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झेन फ़कीर बोकोजू एक पहाड की तलहटी मे टुटे फ़ूटे से झौपडे में रहते थे. वहां
तक पहुंचना भी बडा दूभर था. पूरा पहाड चढ कर दूसरी तरफ़ की तलहटी मे उनका
झौपडा था....
3 comments:
very good makarand Sir. Lage rahiye !
background is really dark today's
leader.
" dark background with dark face and dark expression ha ha ha ha , rightly said in few words, "
Regards
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