Thursday, September 25, 2008

मोर्निंग वाक

कामायनी ,

गज गामिनी,

कपोल हंसिनी,

अधरों पर अरुणिमा ,

संग में काला कलूटा.

हमने पुछा,

मोर्निंग वाक कर रही हैं ?

वो मुस्कुराया ,

आदमी की जात

हमसे भी बदतर हे,

ये हसीनाओं के पीछे

और हसीनाएं हमारे पीछे घुमती हैं

5 comments:

राज भाटिय़ा said...

भाई आप कोन से पार्क मे सुबह घुमने जाते हे ..... जहां पर
कामायनी ,

गज गामिनी,

कपोल हंसिनी,

अधरों पर अरुणिमा
अप्सराये आती हे जरा हमे भी बाताओ हम ने कभी नही देखी अप्सराये.
धन्यवाद

ताऊ रामपुरिया said...

आदमी की जात
हमसे भी बदतर हे,
ये हसीनाओं के पीछे
और हसीनाएं हमारे पीछे घुमती हैं

बहुत बेहतरीन मकरंद सर ! धन्यवाद !

विक्रांत बेशर्मा said...

बहुत खूब मकरंद भाई,लगे रहो!!!!!!!!!!!

seema gupta said...

ha ha ha ha ha fantastic. I thought til now u might hav posted the adress of the park han ha ha. Any way great sense of humour. Ek purana joke yad aa rha hai after reading ur this creation ( ek lady park mey apne dog ke sath ghum rhe thee, ek sardar ne cheda 'maire bgeya ka phul taire sadee me kaise' than she replied ' maire kuttey ke baal taire dadee me kaise'). Regards

प्रदीप मानोरिया said...

लाज़बाब मज़ा आ गया सर ... मेरे ब्लॉग पर सरकारी दोहे पढने के लिए आपको सादर आमंत्रण है