Saturday, September 27, 2008

सियार

दिल का जीर्णओधार कराना

होगा कम्भखत पसीजता ही नही ,

मासूमो की मोंत ,

अब सिर्फ़ ख़बर हो गई

तंत्र नगर वधुओ के हवाले

हमे शर्म नही आती

सुबह की चाय

पेपर की चुस्की

मोंत का तांडव

लोकतंत्र के पॉँच पांडव

ये डरपोक हे,

सियार,

अब शहर आने लगे हे

कृष्ण का सुदर्शन

अब जरुरी हे

उठो मिटा दो

7 comments:

भूतनाथ said...

सुबह की चाय

पेपर की चुस्की

मोंत का तांडव

लोकतंत्र के पॉँच पांडव

बहुत बढिया

!

ताऊ रामपुरिया said...

क्या खूब ? धन्यवाद !

दीपक "तिवारी साहब" said...

दिल का जीर्णओधार कराना होगा
कम्भखत पसीजता ही नही

दीपक "तिवारी साहब" said...

ओ जी मैंने कहा आज ह्रदय दिवस है ! देखना कही जीर्णोद्धार में और
कुछ ना हो जाए ? :-)

आपका ताऊ मैं हूं said...

बहुत बेहतरीन रचना ! धन्यवाद !

seema gupta said...

ha ha nice thoughts to read. Regards

Anonymous said...

aur shukr manaa rahe hai geedad ke surakshit bache hain