दिल का जीर्णओधार कराना
होगा कम्भखत पसीजता ही नही ,
मासूमो की मोंत ,
अब सिर्फ़ ख़बर हो गई
तंत्र नगर वधुओ के हवाले
हमे शर्म नही आती
सुबह की चाय
पेपर की चुस्की
मोंत का तांडव
लोकतंत्र के पॉँच पांडव
ये डरपोक हे,
सियार,
अब शहर आने लगे हे
कृष्ण का सुदर्शन
अब जरुरी हे
उठो मिटा दो
7 comments:
सुबह की चाय
पेपर की चुस्की
मोंत का तांडव
लोकतंत्र के पॉँच पांडव
बहुत बढिया
!
क्या खूब ? धन्यवाद !
दिल का जीर्णओधार कराना होगा
कम्भखत पसीजता ही नही
ओ जी मैंने कहा आज ह्रदय दिवस है ! देखना कही जीर्णोद्धार में और
कुछ ना हो जाए ? :-)
बहुत बेहतरीन रचना ! धन्यवाद !
ha ha nice thoughts to read. Regards
aur shukr manaa rahe hai geedad ke surakshit bache hain
Post a Comment