पति ने पत्नी से कहा ,
स्वस्थ रहेने के लिए
सुबह, टहला करो पार्क में,
पत्नी बोली
तुम मत बहकाना,
डार्क में,
पति ने कहा,
वादा रहा सनम,
पत्नी
नही जी पाएंगे हम,
नोक -झोख में जिंदगी,
यु ही गुजरती हे
,तुम काले कोट को,
पैमाना मत बनाओ
बिखेर तिनको को समेटो,
घोंसला बनाओ
कहानी: आशा
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"मेरी लघुकथाएँ" से साभार- अनुराग शर्मा
सोमवार का दिन वैसे ही मुश्किल होता है, ऊपर से पहली तारीख़। अपने-अपने खाते से
तनख्वाह के पैसे निकालने वाले फ़ैक्ट्री म...
2 weeks ago
9 comments:
बिखेर तिनको को समेटो,
घोंसला बनाओ
बहुत सुंदर मकरंद सर !
बहुत जोरदार नोक झोंक ! ऐसे ही चलती रहनी चाहिए !
जिन्दगी इसी से चलती है !
पति ने पत्नी से कहा ,
स्वस्थ रहेने के लिए
सुबह, टहला करो पार्क में,
पत्नी बोली
तुम मत बहकाना,
डार्क में,
bahut saTik !
कमाल की नोक झोंक ! बहुत अच्छे !
शानदार ! बहुत सटीक रचना !
bahut sundar .. badhaai !!!
pyaari nok-jhonk
aur tinkon se ghonsle banana
yahi hai saar,pyaar ka
bahut sundar
nice
rightly said jindge ke gadee aise he gujerte hai, good expressions han. Regards
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