Friday, February 12, 2010

बनियान

आदमी बनियान में
वो भी फटी
कुत्ता नेवी ब्लू स्वेटर में
कोहरे में लोकतंत्र
रसोई में सन्नाटा
पत्रिकाएँ नीला लिबास पहने
सरवे जारी हे
मनोरजन के नाम पर राजनीति जारी हे
वेलेंटाइन के कागा
बाँट रहे प्रेम का धागा
मोह्हबत में तिजारत जारी हे
शिक्षा का स्तर बढ गया हे
एड्स की सबको जानकारी हे

Tuesday, August 11, 2009

स्वाइन फ्लू

स्वाइन फ्लू बढ रहा है
मानसून घट रहा है
इलाज के नाम पर
मुह छुपाना चल रहा है
टेबलेट खाकर डर दूर हो जाता है
नैतिक शिक्षा में अब यही पढाया जाता है
बच्चे की मौत
भी अब टी. वी. पर चिलाने का सामान है
क्या करें टी.आर पी के चक्कर में
सारे के सारे नादान है
महंगाई बेवफाई कसाब
लोकतंत्र में चरचे बेहिसाब
विदेशी बालाओं का नाच
अब सिनेमा की जरुरत है
ग्लोबल वार्मिंग जारी है
देशी कोठों पर अब विदेशी नज़र आती है
देशी विदेशों में प्रीमियम कमाती है

Tuesday, July 21, 2009

नहले पे दहला

ताऊ और ताई के पडौस मे
चकपक दम्पति रहने आये
ताई को चिढाने की गरज से
ताऊ ने कहा : अजी बुरा मत मानना
आजकल रोज ही पडौस वाली श्रीमती चकपक
मेरे सपनों मे आजाती हैं.
ताई ने पूछा - अकेले ही आती हैं ना?
ताऊ ने कहा - हां, पर तुम्हें कैसे मालूम पडा?
तई बोली - क्योंकि मि. चकपक तो रोज मेरे सपने मे आते हैं.

Monday, March 30, 2009

सुरा और साडी

सपेरे मुस्कुरा रहे हें
सांपों की बारात हे
मेंडक कर रहे डांस
देश के ऐसे हालात हें

बीन बजा रहे संत
जन मानस रहा डोल
अर्थवयस्था में होल
लोकतंत्र की पोल

चुनाव में चर्चा जारी
कही बटेगी सुरा
कही साडी

Wednesday, February 25, 2009

सांड पार्टी


सांड मुस्कुरा रहे हे
गायें खिल खिला रही हे
आधुनिकता के आड़ में
खेल जारी हे


स्लम डॉग मिलिनेअर की जय हो
पिंक चड्डी की सीमा तय हो
अब तो पिंक स्लिप का जमाना हे
मंदी का गुलाल सब को लगाना हे


गुलज़ार हो गया हिंदुस्तान
पाके इतना बड़ा सम्मान
सिले ओंठ मुस्कुराये
झोंपडी में स्लम कैट नज़र आये

Sunday, February 15, 2009

ताऊ साप्ताहिक पत्रिका -९ यहां पढिये

आप सबको नमस्कार,

ताऊ रामपुरिया के ब्लाग की फ़ीड अपडेट
नही हो रही है, सोमवार की पोस्ट वाली.

आज "ताऊ साप्ताहिक पत्रिका -९" जिसमे कि शनीचरी पहेली -९ के रिजल्ट
भी दिये हुये हैं वो पोस्ट आप यहा चटका लगा कर पढ सकते हैं.

धन्यवाद.

Wednesday, February 11, 2009

कुत्तों का टीकाकरण

कुत्तों का टीकाकरण शत प्रतिशत हुआ
कालोनी ने राहत की साँस ली
दुर्भाग्य ने पीछा नही छोडा
एक दल बदलू मेरे पीछे दोडा
में जब तक संभल पाता
उसने मुझे सूंघ लिया
मुस्कुराया
और सवाल दागा
अबे वैलेंटाइन के कागा
हमारी जमात की नक़ल
उसमे भी तुम्हारी सामाजिक पहल .......
ख़ुद को तो टीका लगवायो
नही मानोगे
तो पेड़ पर तुम
सड़क पर हम नज़र आयेंगे