दिल का जीर्णओधार कराना
होगा कम्भखत पसीजता ही नही ,
मासूमो की मोंत ,
अब सिर्फ़ ख़बर हो गई
तंत्र नगर वधुओ के हवाले
हमे शर्म नही आती
सुबह की चाय
पेपर की चुस्की
मोंत का तांडव
लोकतंत्र के पॉँच पांडव
ये डरपोक हे,
सियार,
अब शहर आने लगे हे
कृष्ण का सुदर्शन
अब जरुरी हे
उठो मिटा दो