Tuesday, July 21, 2009

नहले पे दहला

ताऊ और ताई के पडौस मे
चकपक दम्पति रहने आये
ताई को चिढाने की गरज से
ताऊ ने कहा : अजी बुरा मत मानना
आजकल रोज ही पडौस वाली श्रीमती चकपक
मेरे सपनों मे आजाती हैं.
ताई ने पूछा - अकेले ही आती हैं ना?
ताऊ ने कहा - हां, पर तुम्हें कैसे मालूम पडा?
तई बोली - क्योंकि मि. चकपक तो रोज मेरे सपने मे आते हैं.

6 comments:

समयचक्र said...

काफी दिनों बाद आपकी रचना पढ़ने मिली बहुत बढ़िया.

Anil Pusadkar said...

वाह!ताऊ को पता चला तो लट्ठ लेकर दौडायेगा भतीजे!

ताऊ रामपुरिया said...

वाह मकरंद सर..चलो आप लौटे तो सही?:)

रामराम

Urmi said...

मुझे आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा! बहुत बढ़िया लिखा है आपने ! अब तो मैं आपका फोल्लोवेर बन गई हूँ इसलिए आती रहूंगी!
मेरे ब्लोगों पर आपका स्वागत है!

Smart Indian said...

वह, इसी को कहते हैं सेर को सवा सेर.

संजय भास्‍कर said...

क्या बात है बहुत खुब\
बेहतरीन ... बेहतरीन.

http://sanjaybhaskar.blogspot.com