बंद एसी कमरे में
चिंतन धीर गम्भीर
बाहर खड़े candidate
हो रहे अधीर
किराये पर बुलाये
दिखा रहे आँखे
छुटभहिये नेता
इधर उधर झांके
सफ़ेद पोशो की आड़ में
नगर वधुओं की टोली
मचा हुआ घमासान
जबरन चंदा वसूली
मिल जाए टिकट
तो भाग्य खुल जायेंगे
हार भी गए
पैसा ब्याज पर चलाएंगे
चिमनी और चंदा
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चिमनी से निकला धुआँ, चंदा सा आकार,
आँख से मानो बह चलीं, यादें बारंबार।
जैसे तूने छोड़ी थीं, ये राहें उस दिन मौन,
वैसे ही चुप चाँदनी, कहे-सुने अब कौन।
नीला...
6 hours ago