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Thursday, October 23, 2008

सामजिक पीकदान

सामजिक पीकदान
के कारण,
कई अभिलाषाएं , कई प्रतिभाएं ,
कुर्बान

पुरूष खोलता हे
कपडों की डोरियाँ मुस्कुराकर ,
पर जकड देता हे मन को
परम्पराओ का आइना दिखा कर

मंदी में
सामजिक व्यवस्था हे
जननी का शरीर
सबसे सस्ता हे