कुत्तों की पंचायत में
कुतिया ने गुहार लगाई
अगर सारे ये सब मेरे भाई
तो में किसकी लुगाई
पंचायत में एक दहाड़
शेर बूढ़ा भी हो
जुगाली तो कर ही सकता हे
कुतिया शरमाई
फिर में जंगल ही चली जाती
कम से कम हनीमून तो मनाती
पंचायत से फिर एक दहाडा
हमारा हुक्म और तुम्हारी नाफ़रमानी
इस देस में अब नहीं बहता नदियों में पानी
जहरीले सापों खुद तो रेंग रहे हो
लोकतंत्र पर भी नजर हे
पर याद रहे
कालिया मर्दन भी हमारा शगल हे
❤️ जीवन को भरपूर जिया, खुश हो कर हर पल ❤️
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(शब्द व चित्र: अनुराग शर्मा)
बचपन से तूफ़ानी लहरों में उतरने लगा था,
घबराया जब भँवर में जीवन ठहरने लगा था।
लहरें दुश्मन, तैरना आता नहीं, डूबने को आया,
उस बह...
1 week ago







6 comments:
bahut sateek vyang...aur haan thoda vartani me badlaav kar dijiye...hai aur main me...
बहुत खूब मकरन्द॥॥॥
कहाँ गायब रहते हो मकरंद. स्कूल की तो छुट्टी चल रही है न??
प्रशंसनीय ।
आजकल आप भी मेरि तरह कम लिख रहे हो कम दिख रहे हो
दिखते रहो लिखते रहो और देखते भी रहो
वाह मकरंदजी, वाह। सचमुच आप छा गये।
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