Wednesday, February 25, 2009

सांड पार्टी


सांड मुस्कुरा रहे हे
गायें खिल खिला रही हे
आधुनिकता के आड़ में
खेल जारी हे


स्लम डॉग मिलिनेअर की जय हो
पिंक चड्डी की सीमा तय हो
अब तो पिंक स्लिप का जमाना हे
मंदी का गुलाल सब को लगाना हे


गुलज़ार हो गया हिंदुस्तान
पाके इतना बड़ा सम्मान
सिले ओंठ मुस्कुराये
झोंपडी में स्लम कैट नज़र आये

18 comments:

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत बढिया मकरंद सर. लगता है ये तो आपने अंबानी बंधुओं के फ़ैशन शो की रिपोर्टिंग लग रही है. पर क्या करें? आजकल तो ७५ जन्म्दिन भी फ़ैशन शो से मनाया जाता है.

रामराम.

दीपक "तिवारी साहब" said...

हां जी बहुत लाजवाब लिखा आपने काफ़ी दिनों बाद. बधाई.

मौजीराम said...

सांड मुस्कुरा रहे हे
गायें खिल खिला रही हे
आधुनिकता के आड़ में
खेल जारी हे

bahut jabardast vyaMg.

Anonymous said...

बिल्कुल सांड जैसा अनुभव। गजब।

Gyan Dutt Pandey said...

आधुनिक झोपड़ी/सांड़/गाय/कुकुर/बिल्ली/मनई/मेहरारू सब की जय!

Vinay said...

भई क्या करें ऐसे भी इतिहास बनता है, पुराना quote है 'बदनाम होंगे तो क्या नाम न होगा'! आनन्द आ गया पढ़कर!

Science Bloggers Association said...

बहुत धारदार व्यंग्य मारा है, मजा आ गया।

रंजना said...

बहुत बहुत बढ़िया..........लाजवाब......आनद आ गया पढ़कर......क्या सटीक चित्र खींचा है आपने.....जय हो..

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

बहुत ही बढिया............

प्रदीप मानोरिया said...

सुन्दर- रोचक- पैना -धारदार झटके में काम तमाम कर देने वाला व्यंग
वाह मकरंद जी आपकी लेखनी की धर बहुत पैनी होती जा रही है

योगेन्द्र मौदगिल said...

अद्भुत आपकी लेखनी को नमन करता हूं साधुवाद

Smart Indian said...

लाजवाब मकरंद जी!

ताऊ रामपुरिया said...

होली पर्व की हार्दिक बधाई और घणी रामराम

विक्रांत बेशर्मा said...

सांड मुस्कुरा रहे हे
गायें खिल खिला रही हे
आधुनिकता के आड़ में
खेल जारी हे


क्या बात है ...बहुत खूब !!

sandhyagupta said...

Tez dhar.Badhai.

Unknown said...

Hi, it is nice to go through ur blog...well written..by the way which typing tool are you suing for typing in Hindi..?

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Jai..Ho...

BrijmohanShrivastava said...

एक माह होने को है .कुछ नया पढ़वाइये

Krishna Patel said...

bahut sundar rachna.vartmaan samay par satik.