Wednesday, February 11, 2009

कुत्तों का टीकाकरण

कुत्तों का टीकाकरण शत प्रतिशत हुआ
कालोनी ने राहत की साँस ली
दुर्भाग्य ने पीछा नही छोडा
एक दल बदलू मेरे पीछे दोडा
में जब तक संभल पाता
उसने मुझे सूंघ लिया
मुस्कुराया
और सवाल दागा
अबे वैलेंटाइन के कागा
हमारी जमात की नक़ल
उसमे भी तुम्हारी सामाजिक पहल .......
ख़ुद को तो टीका लगवायो
नही मानोगे
तो पेड़ पर तुम
सड़क पर हम नज़र आयेंगे

8 comments:

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत बढिया मकरंद सर.

रामराम.

नदीम अख़्तर said...

बहुत अच्छा लिखे। आप कुत्तों के बारे में बहुत अच्छा व्यंग्य लिखते हैं, मेरे ऊपर भी लिख दीजिए... मैं भी उसी श्रेणी का हूं...

Dev said...

Very nice poem.Badhai.

Smart Indian said...

बहुत सही सलाह दी मानव के इस नज़दीकी मित्र ने.

चिराग जैन CHIRAG JAIN said...

बहुत अच्छे मकरंद जी!
काफ़ी पर्यावरणीय रचना है।

प्रदीप मानोरिया said...

आपका हर व्यंग सुगठित और अत्यन्त पैना होता है बधाई

Krishna Patel said...

vyang karne ka bahut hi sundar tarika apnaya hai aapne.dhanywaad.

seema gupta said...

और सवाल दागा
अबे वैलेंटाइन के कागा
हमारी जमात की नक़ल
" ha ha ha ha ha ha ha well said.."

regards