पति ने पत्नी से कहा ,
स्वस्थ रहेने के लिए
सुबह, टहला करो पार्क में,
पत्नी बोली
तुम मत बहकाना,
डार्क में,
पति ने कहा,
वादा रहा सनम,
पत्नी
नही जी पाएंगे हम,
नोक -झोख में जिंदगी,
यु ही गुजरती हे
,तुम काले कोट को,
पैमाना मत बनाओ
बिखेर तिनको को समेटो,
घोंसला बनाओ
बड़ी क़यामत छोटों की
-
क़द, रुतबे, या दौलत से
लोग छोटे नहीं होते,
छोटे लोग
दिल के छोटे होते हैं।
उनकी हर रेवड़ी
उनके मुँह तक पहुँचती है
उनकी हर दौड़
उनके महल पर रुकती है।
हर काम ...
1 week ago
9 comments:
बिखेर तिनको को समेटो,
घोंसला बनाओ
बहुत सुंदर मकरंद सर !
बहुत जोरदार नोक झोंक ! ऐसे ही चलती रहनी चाहिए !
जिन्दगी इसी से चलती है !
पति ने पत्नी से कहा ,
स्वस्थ रहेने के लिए
सुबह, टहला करो पार्क में,
पत्नी बोली
तुम मत बहकाना,
डार्क में,
bahut saTik !
कमाल की नोक झोंक ! बहुत अच्छे !
शानदार ! बहुत सटीक रचना !
bahut sundar .. badhaai !!!
pyaari nok-jhonk
aur tinkon se ghonsle banana
yahi hai saar,pyaar ka
bahut sundar
nice
rightly said jindge ke gadee aise he gujerte hai, good expressions han. Regards
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