सपेरे मुस्कुरा रहे हें
सांपों की बारात हे
मेंडक कर रहे डांस
देश के ऐसे हालात हें
बीन बजा रहे संत
जन मानस रहा डोल
अर्थवयस्था में होल
लोकतंत्र की पोल
चुनाव में चर्चा जारी
कही बटेगी सुरा
कही साडी
उलटबाँसी सूरज की
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*(शब्द व चित्र: अनुराग शर्मा)*
सुबह के सूरज की तो
शान ही अलग है
ऊँचे लम्बे पेड़ों पर
शाम की बुढ़ाती धूप भी
देर तक रहती है मेहरबान
उपेक्षित करके छोटे पौधों...
1 week ago






