कुत्तों की पंचायत में
कुतिया ने गुहार लगाई
अगर सारे ये सब मेरे भाई
तो में किसकी लुगाई
पंचायत में एक दहाड़
शेर बूढ़ा भी हो
जुगाली तो कर ही सकता हे
कुतिया शरमाई
फिर में जंगल ही चली जाती
कम से कम हनीमून तो मनाती
पंचायत से फिर एक दहाडा
हमारा हुक्म और तुम्हारी नाफ़रमानी
इस देस में अब नहीं बहता नदियों में पानी
जहरीले सापों खुद तो रेंग रहे हो
लोकतंत्र पर भी नजर हे
पर याद रहे
कालिया मर्दन भी हमारा शगल हे
लेखक को जानिये - अनुराग शर्मा के कुछ और साक्षात्कार
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प्रकाशित साक्षात्कार-वार्ता, कथन-वाचन शृंखला में कुछ और साक्षात्कार यहाँ
प्रस्तुत हैं।
- 9 जुलाई 2019 को प्रकाशित साक्षात्कार शृंखला
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