Tuesday, April 13, 2010

एजुकेसन

गाँव में शिक्षा के नाम पर
तमाशा जारी हे
शहरों में एजुकेसन के नाम पर
गोरख धन्दा
भारी हे

दीवारों पर लीखनेसे
कुछ नहीं होगा
कुत्ता टांग उठा के धो देगा
या फिर पढ़े लिखे

लोकतंत्र में
शिक्षा अब अधिकार हे
पर उजाला
फिर चंद लोगों में बटेंगा
इस देश में फिर एक भूखा जोकर बनेगा

Thursday, April 8, 2010

बिल बनाम पर्ची

सामान खरीद कर ,
जब हमने बिल माँगा
दुकानदार ने आँख तरेरी
मुस्कुराके हमको टाँगा

जो पर्ची पर लिखा हे
वही सही हें
पक्का चाहिए तो
अलग से लगेंगे

और वारंटी गारंटी
हमारी जबान हें
बरखुरदार
ये हिंदुस्तान हें

खोटे सिक्के यहाँ
बड़ी गाडियों में चलते हें
तुम्हारे जेसे बस स्टैंड से
उतरकर हम से उलझते हे

आगे की सोचो
कागज तो सिर्फ खाता बही हे
जबान हिलाए गा
तो खाना मिल पायेगा

कागज के भरोसे
तू कोरा कागज ही रह जायेगा