Sunday, January 11, 2009

घोटाला वीरों

घोटाला वीरों
शत शत नमन अभिन्दन
घिसने से फेल रही तुम्हारी कीर्ति
हे आईटी के चंदन

अर्थशास्त्र के कला बाजों
स्वतंत्र चाटुकारों
शेर घायल होते ही काटने लगे

तंत्र के पहलवानों
नूरा कुश्ती फिर शुरू
आर्थिक सलाह्करोँ
बताओ
अब मोटर बोट कहाँ से आयी ?

तुमने जाँच बीठा दी
लोली पॉप की खाली डंडी
हमे पकड़ा दी
भारत की आर्थिक प्रगति में अभी गटर के खुले चेम्बर और भी हें

14 comments:

ताऊ रामपुरिया said...

तंत्र के पहलवानों
नूरा कुश्ती फिर शुरू
आर्थिक सलाह्करोँ
बताओ
अब मोटर बोट कहाँ से आयी ?

बहुत लाजवाब मकरंद सर.

रामराम.

Gyan Dutt Pandey said...

तनिक नेताओं की बढ़ी समृद्धि पर भी इनायत करें कुछ पंक्तियां। इनकी एकाउण्टेबिलिटी तो और भी कम है!

संगीता पुरी said...

ज्ञानदत्‍त पांडेय जी बिल्‍कुल सही कह रहे हें....बाकी अच्‍छी लगी आपकी रचना।

Vinay said...

सबके ढक्कन बंद करवा दो, पर कैसे? जाँच और घोटाला दोनों में मिली भगत है भई!


---मेरा पृष्ठ
गुलाबी कोंपलें

Dr. Amar Jyoti said...

अच्छा व्यंग है। बधाई।

Unknown said...

bahut mast....

seema gupta said...

घोटाला वीरों
शत शत नमन अभिन्दन
घिसने से फेल रही तुम्हारी कीर्ति
हे आईटी के चंदन
" ha ha ha ha ha ha ha great sense of humour.."

regards

रंजना said...

Bahut sahi kaha...Sateek aur Sundar Vyangy hai.

vimi said...

lollipop ki khali dandi hamen pakda di.....
kya kataksh hai !

जितेन्द़ भगत said...

अच्‍छा व्‍यंग्‍य:)

प्रदीप मानोरिया said...

यथार्थ सार्थक लाज़बाब इससे अधिक कुछ कहना अशक्य है

नीरज गोस्वामी said...

भाई वाह...बहुत खरी खरी बात कही है आपने अपनी रचना में...
नीरज

!!अक्षय-मन!! said...

भारत की आर्थिक प्रगति में अभी गटर के खुले चेम्बर और भी हें......
और कितने झकते देंगे करंट सा दोड़ता है इन शब्दों में...
हमारी पागल सरकार जरुर ठीक हो जायेगी.....
आपके दिए इन झटकों से ...


अक्षय-मन

Dikshya said...

अच्छा वियंग और बढीया रचना ।