सामजिक पीकदान
के कारण,
कई अभिलाषाएं , कई प्रतिभाएं ,
कुर्बान
पुरूष खोलता हे
कपडों की डोरियाँ मुस्कुराकर ,
पर जकड देता हे मन को
परम्पराओ का आइना दिखा कर
मंदी में
सामजिक व्यवस्था हे
जननी का शरीर
सबसे सस्ता हे
बेगाने इस शहर में
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(अनुराग शर्मा)
बाग़-बगीचे, ताल-तलैया
लहड़ू, इक्का, नाव ले गये
घर, आंगन, ओसारे सारे
खेत, चौपालें, गाँव ले गये
कुत्ते, घोड़ा, गाय, बकरियाँ
पीपल, बरगद छाँव ...
9 months ago