एक आतंकवादी मुझसे टकराया
ना वो फ़ुटा
ना मेरा जीवन से
नाता छूटा
कंधे पर हाथ रख हमने पूछा
मुख्य धारा मे आ रहे हो ?
बोला-
हम दल बदलू नही हैं
इस बार की गलती माफ़
अगली बार आपका पत्ता साफ़
शायद परचेज डिपार्टमेन्ट मे कुछ गड बड है
केरोसीन
ओपन मार्केट की जगह
राशन की दुकान से आया है !
खिलाते नहीं (हिंदी ग़ज़ल)
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अनुराग शर्मा अनुराग शर्मा
कदम राजपथ से हटाते नहीं
गली में मेरी अब वे आते नहीं।
कहीं सच में आ ही न जाये कोई
किसी को बेमतलब बुलाते नहीं।
अंधेरे में खुश नाप...
4 days ago
15 comments:
बहुत बढिया!!
केरोसीन
ओपन मार्केट की जगह
राशन की दुकान से आया है !
बहुत बढिया मकरंद सर !
इस बार की गलती माफ़
अगली बार आपका पत्ता साफ़
सर जी बहुत बढिया रचना ! धन्यवाद !
आतंकवाद पर बहुत सटीक रचना ! शुभकामनाएं !
very nice blog...
http://shayrionline.blogspot.com/
बहुत ही सटीक रचना है ....आपका व्यंग करने का जो टशन है ...उसे बरक़रार रखें ...शुभकामनाएं !!!!!!!!!!!
दल बदलू नहीं से किरोसिन तक... दोनों ही खूब.
बहुत ही सटिक .
धन्यवाद
aapko apne blog par dekh kar sach mein khushi hui.. pls keep visiting...
thank you..
regards
Sachin
एक आतंकवादी मुझसे टकराया
ना वो फ़ुटा
ना मेरा जीवन से
नाता छूटा
"Great words composition and thought"
Regards
सही कहा बंधू.....बहुत खूब...
बढ़िया एवं सटीक व्यंग्य..
आपकी रचनात्मकता सक्षम है..
बधाई..
"इस बार की गलती माफ़
अगली बार आपका पत्ता साफ़"
बहुत अच्छा. लिखते रहें, क्योंकि यह कविता आप से काफी मेहनत चाहती है -- संशोधन द्वार!!
सस्नेह
-- शास्त्री
हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
http://www.Sarathi.info
बहुत सही लिखा है आपने इस विषय पर ..
इस बार की गलती माफ़
अगली बार आपका पत्ता साफ़
यह बात तो लाजवाब है - न हंस सकते हैं न फंस सकते हैं! धन्यवाद!
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